स्वामी विरजानंद को और महात्मा आनंद स्वामी को प्राप्त हुए गायत्री जाप के फल का उल्लेख कीजिए
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स्वामी विरजानंद को और महात्मा आनंद स्वामी को प्राप्त हुए गायत्री जाप के फल का उल्लेख कीजिए:
भूलोक, अंतरिक्षलोक, स्वर्ग लोक समस्त प्राणियों के परमपिता, ज्ञान रूप प्रकाश को देने वाले उस ब्रह्म स्वरूप को ध्यान में रखकर हम नमन करते हैं, जो हमारी बुद्धि को तम से निकालकर सत की ओर चलने को प्रेरित करे।
गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से हमारे मन को शान्ति मिलती है और यह हमारे क्रोध को भी शांत करता है|
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* गायत्री जाप करने से स्वामी विरजानान्द को सिधी की प्राप्ति हुई।गायत्री की सीधी से मनुष्य ब्रह्म तक का साछातकार कर सकता है। महात्मा आनन्द स्वामी ने गायत्री जप के लाभ का वर्णन करते हुए कहा है की जब वे आठ या नौ वर्ष के थे तो मन्द बुधि होने के कारन बडे निराश रहा करते थे। वे अपने जीवन को बिल्कुल निरर्थक समझते थे क्युकि कोई भी उनसे खुश नहि रहता था। लेकिन जब से उन्होने गायत्री मंत्र का जप सुरु किया तबसे उनकी काया पलट गयी। मंत्र जप से उनकी एकाग्रता बढ़ गयी, बुध्दि तीव्र होने लगी,तो वे कछा मे प्रथम आने लगे।और युवा अवस्था मे भी वे गायत्री जप के प्रभाव से सदा आगे ही बढते गये।
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