स्वामी वववेकानंद जी का जन्म सन १८६३ इ. मेंहुआ था | बचपन मेंउनका नाम नरेन्रनाथ था | वेप्रारंभ से ही कु शाग्र बुवि के थे |उन्हों ने अंग्रेजी स्कू लों में वशक्षा पाई | सन १८८४ में बी.ए . की विग्री प्राप्त की |कु छ ददनों के वलए वेब्रह्मसमाज के वशष्य बनकर रहे |वेवनत्य प्राथथना में शावमल हुआ करते थे |वेबहुत ही मधुर आवाज में कीतथन गया करते थे | ब्रह्मसमाज के उपदेशो से भी उनका मन शांत न हुआ , तो वे ईधर-उधर भटकने गले |तभी उनकी भेट रामकृ ष्ण परमहंस से हुई | उनकेउपदेशों से प्रभाववत होकर वे उनकी भक्त मंिली में शावमल हो गए | उनकी गुरुभवक्त इस सीमा तक पहुुँच गई दक जब भी वे परमहंस की चचाथ करते तो उनके एक-एक शब्द से श्रिा और सम्मान टपकता | प्र. 1 इस गद्ांश में दकनके बारे में बात की गई है ? 2. स्वामी वववेकानंद के बचपन का नाम क्या था ? 3. स्वामी जी ने कब और कौन –सी विग्री प्राप्त की ? 4. नरेन्रनाथ पहले दकस समाज के वशष्य बने थे ? 5. नरेन्रनाथ दकसके उपदेशों से प्रभाववत हुए ?
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2.नरेन्रनाथ
3.सन 1884 में बी.ए.की
4.वेब्रह्यसमाज के
5.रामकृष्ण परमहंस
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