सी.वी रामन की जीवनी •उनके कार्य •भारत के प्रति योगदान (100-120 शब्दों में)
Biography of CV Raman in hindi(100-120 words)
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Explanation:
चन्द्रशेखर वेंकटरामन का जन्म ७ नवम्बर सन् १८८८ ई. में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नामक स्थान में हुआ था। आपके पिता चन्द्रशेखर अय्यर एस. पी. जी. कॉलेज में भौतिकी के प्राध्यापक थे। आपकी माता पार्वती अम्मल एक सुसंस्कृत परिवार की महिला थीं। सन् १८९२ ई. मे आपके पिता चन्द्रशेखर अय्यर विशाखापतनम के श्रीमती ए. वी.एन. कॉलेज में भौतिकी और गणित के प्राध्यापक होकर चले गए। उस समय आपकी अवस्था चार वर्ष की थी। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा विशाखापत्तनम में ही हुई। वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य और विद्वानों की संगति ने आपको विशेष रूप से प्रभावित किया।
शिक्षा
आपने बारह वर्ष की अल्पावस्था में ही मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। तभी आपको श्रीमती एनी बेसेंट के भाषण सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके लेख पढ़ने को मिले। आपने रामायण, महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। इससे आपके हृदय पर भारतीय गौरव की अमिट छाप पड़ गई। आपके पिता उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने के पक्ष में थे; किन्तु एक ब्रिटिश डॉक्टर ने आपके स्वास्थ्य को देखते हुए विदेश न भेजने का परामर्श दिया। फलत: आपको स्वदेश में ही अध्ययन करना पड़ा। आपने सन् १९०३ ई. में चेन्नै के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश ले लिया। यहाँ के प्राध्यापक आपकी योग्यता से इतने प्रभावित हुए कि आपको अनेक कक्षाओं में उपस्थित होने से छूट मिल गई। आप बी.ए. की परीक्षा में विश्वविद्यालय में अकेले ही प्रथम श्रेणी में आए। आप को भौतिकी में स्वर्णपदक दिया गया। आपको अंग्रेजी निबंध पर भी पुरस्कृत किया गया। आपने १९०७ में मद्रास विश्वविद्यालय से गणित में प्रथम श्रेणी में एमए की डिग्री विशेष योग्यता के साथ हासिल की। आपने इस में इतने अंक प्राप्त किए थे, जितने पहले किसी ने नहीं लिए थे।[2]
Answer:
भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक और नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी, सर चंद्रशेखर वेंकट रमन, जिन्हें सीवी रमन के नाम से ज्यादा जाना जाता है। इनका जन्म 7 नवंबर, 1888 को हुआ था और निधन 1970 में हुआ था। इनके पिता चंद्रशेखर अय्यर मैथ्स और फिजिक्स के लेक्चरर थे। यही वजह है रमन साइंस कोर्स करने के लिए प्रेरित हुए। चंद्रशेखर वेंकट रमन की मां पार्वती अम्माल थीं। रमन ने विश्वविद्यालय के इतिहास में सर्वाधिक अंक अर्जित किए और उन्होंने आईएएस की परीक्षा में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया। 6 मई 1907 को कृष्णस्वामी अय्यर की सुपुत्री त्रिलोकसुंदरी से रमन का विवाह हुआ। यहां पढ़ें सर सी वी रमन के बारे में 11 रोचक फैक्ट्स।
1 रमन ने अपनी गवर्मेंट सर्विस छोड़ दी। उन्हें 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में फिजिक्स का पहला पालित प्रोफेसर नियुक्त किया गया था।
2 जब वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में टीचिंग कर रहे थे, रमन ने कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस (IACS) में अपना रिसर्च जारी रखा। बाद में वह एसोसिएशन में मानद स्कॉलर बन गए।
3 IACS में, रमन ने एक ग्राउंड ब्रेकिंग एक्सपेरिमेंट किया जिसने अंततः उन्हें 28 फरवरी 1928 में फिजिक्स में नोबेल पुरस्कार दिलाया। उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन को देखकर प्रकाश की क्वांटम नेचर के एविडेंस की खोज की, एक ऐसा इफेक्ट जिसे रमन इफेक्ट के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस National Science Day के रूप में मनाया जाता है
4 बहुत से लोग यह नहीं जानते कि इस प्रयोग में रमन के एक सहयोगी भी थे। सहकर्मी के रूप में के एस कृष्णन ने रमन के साथ मिल कर काम किया था। लेकिन दोनों के बीच कुछ प्रोफेशनल मतभेदों के कारण के एस कृष्णन ने नोबेल पुरस्कार साझा नहीं किया। हालांकि, रमन ने अपने नोबेल स्वीकृति भाषण में कृष्णन के योगदान का जोरदार उल्लेख किया था।
5 एटोमिक न्यूक्लियस और प्रोटॉन के खोजकर्ता डॉ अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने 1929 में रॉयल सोसाइटी के अपने अध्यक्षीय भाषण में रमन की स्पेक्ट्रोस्कोपी का उल्लेख किया। रमन को सोसाइटी के द्वारा एकनॉलेज्ड किया गया था और उन्हें नाइटहुड भी प्रदान किया गया था।
6 रमन न केवल प्रकाश के विशेषज्ञ थे बल्कि उन्होंने ध्वनिकी acoustics के साथ भी प्रयोग किया। तबला और मृदंगम जैसे भारतीय ढोल की ध्वनि की हार्मोनिक प्रकृति की जांच करने वाले रमन पहले व्यक्ति थे।
7 उनकी पहली पुण्यतिथि पर भारतीय डाक सेवा ने सर सी वी रमन की एक स्मारक डाक टिकट प्रकाशित की थी जिसमें उनकी स्पेक्ट्रोस्कोपी और बैकग्राउंड में एक हीरा था। उन्हें 1954 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
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