स्वार्थी लोग धर्म का व्यवहार अपने स्वार्थ के लिए करते हैं । फलस्वरूप हिन्दुत्व भी विपन्न हो रहा
है, ईस्लाम भी नष्ट हो रहा है और सिक्ख धर्म भी आहत हो रहा है । ऐसे ही स्वार्थी लोगों ने
प्राचीनकाल में धर्म के नाम पर ईसामसीह को फाँसी पर लटकाया था । अवतरण का संक्षेपण कीजिए
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धर्म का व्यवहार
धर्म हमें सही मार्ग पर चलना सिखाता है, परंतु साधारण जन में सोचने- विचारने की शक्ति नहीं है। उनके इसी भोलेपन का फायदा राजनेता व अन्य स्वार्थी लोग अपने हित के लिए करते हैं।
वे धर्म के नाम पर जन-साधारण को भड़काते हैं और खुद अपना मतलब सिद्ध करते हैं।फलस्वरूप हिन्दुत्व भी विपन्न हो रहा है, ईस्लाम भी नष्ट हो रहा है और सिक्ख धर्म भी आहत हो रहा है।
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