स्वास्थ्य ही संपत्ति है short in hindi
chetnakushwah67:
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Explanation:
प्रसिद्ध कहावत है कि अगर मनुष्य की धन-सम्पत्ति नष्ट हो जाए, तो समझो कुछ भी नष्ट नहीं हुआ या फिर कोई बड़ी बात नहीं। एक स्वस्थ व्यक्ति लगातार परिश्रम सम्पत्ति दुबारा कमा और बना सकता है। लेकिन अगर उस का स्वास्थ्य ही रण नष्ट हो गया, तो समझो कि सभी कुछ गया, नष्ट हो गया। क्योंकि उस का अवस्था में व्यक्ति कुछ भी कर पाने में एकदम असमर्थ हो जाता है। जो व्यक्ति चल-फिर तक पाने में समर्थ नहीं होता, वह भला धन-सम्पत्ति या जीवन जीने के साधन क्या खाक अर्जित कर सकेगा? इसी कारण कहा गया है कि स्वास्थ्य ही सोना है या फिर स्वास्थ्य ही धन-सम्पत्ति आदि सभी कुछ है।
आपने लोगों को यह भी कहते सुना होगा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन-मस्तिष्क का निवास रहा करता है। स्वस्थ मन-मस्तिष्क वाला आदमी हर बात अपने अच्छे-बुरे रूप में, उसके भले-बुरे परिणाम के सन्दर्भ में करने से पहले ही सोच-विचार कर उचित कदम उठा सकता है। स्वस्थ मन-मस्तिष्क से सोच-विचार कर स्वस्थ व्यक्ति द्वारा उठाया गया कदम कभी खाली नहीं जाया करता। वह इच्छित परिणाम अवश्य लाया करता है। इसके विपरीत यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब रहता है, उसने सोच-समझ कर कोई क्रियात्मक कदम तो क्या उठाना है, उसका स्वभाव पूरी तरह चिड़चिड़ा हो जाता है।
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