'स्वास्याय आप सूर्यस्थ महती भूमिका
आर्सग अत्र विशेषणपर्दै किन
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भारते जन्म लब्ध्वा अपि यो जनः सत्कर्म-पराङ्मुखः भवति, सः किं त्यक्त्वा किं प्राप्तुम् इच्छति?
(भारत में जन्म लेकर भी जो मनुष्य सत्कर्मों से विमुख रहता है वह क्या त्याग कर क्या प्राप्त करना चाहता है?)
उत्तरम्:
भारते जन्म लब्ध्वा अपि यो जनः सत्कर्म-पराङ्मुखः भवति सः पीयूष-कलशं त्यक्त्वा विषकलशं प्राप्तुम् इच्छति।
(भारत में जन्म लेकर जो व्यक्ति सत्कर्म विमुख होता है वह अमृत-घट को त्यागकर विष कुम्भ प्राप्त करना चाहता है।)
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