सावित्री ने देव शर्मा को क्या समझाया ?
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→ सावित्री ने देव शर्मा को समझाया कि सबसे बड़ा तप अपने बूढ़े असहाय माँ - बाप की सेवा करना है। जब तक अपने कर्तव्यों की पूर्ति ना कर ली जाए तब तक कोई भी जप - तप सही फल नहीं देने वाला। तेरी बूढ़ी माँ तेरी याद में दुखी रहती है। रे सन्यासी वापस चला जा और अपनी माँ की सेवा कर वो ही सच्चा तप है। ऐसे शब्द सुनकर देव शर्मा को अपनी भूल पर बेहद पछतावा हुआ और वह सावित्री से क्षमा माँग कर अपनी बूढ़ी माँ के पास वापस लौट आया। देव शर्मा की बूढ़ी माँ उसे वापस आया देखकर बड़ी प्रसन्न हुई और उसने देव शर्मा को गले से लगा लिया।
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