सावित्री राजा अश्वपति की इकलौती कन्या थी । वह बहुत सुन्दर थी । वह ऊँचे चरित्र की बाइको हो । एक दिन वह प्रस्त
में हाकर जा रही थी। उसने एक लड़के को जंगल में पेड़ के नीचे देखा। वह ठहर गई । बस अगम दृष्टि प ही सपा माहित
वेगई । घर आकर उसने सब बातें अपने माता-पिता से कही । इतने में नारदजी वहाँ आ गये और उन्होंने कर
प्रत्यवान है और इस वर्ष के अन्त में मर जायेगा ।" परन्तु सावित्री ने कहा, "जो भाग्य में लिखा है, यह अवश्य होगा । अत: मुझे
जिमी बात की चिन्ता नहीं है। यह सुनकर माता-पिता चुप हो गये और उन्हाने सावित्री का विवाह उसको इन्सुखार सत्यवान
में कर दिया।
कलौती कन्या - the only daughter, प्रथम दृष्टि में-arthe first aight, मशि -htan
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Savitree was only daughter of Ashravpati. She is very beautiful. She from a great nature. one day she was going in her chariot. She saw a boy under a tree in forest. Her eyes stay them. came to home she said all matter to their parents. At point of time Naradji came there and said that Satyavan will die in the end of year. but Savitree said that written in fate it must will happen.so I have no tension anything.This statement heared their parents become silent and they married Savitree to her choice Satyavan.
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