Hindi, asked by avnish1091, 8 months ago

स्वातंत्र्य िानत की लगि, व्यजतत की धुि है ,

बाहरी वस्तुयह िहीं , भीतरी गुण है |

ित हुए बबिा िो अशनि – घात सहती है ,

स्वाधीि िगत में वही िानत रहती है |

वीरत्व छोड़ पर का मत चरण ,गहो रे !

िो पड़ेआि , खुर्द सब आग सहो रे !

स्वर में पावक यदर्द िहीं ; वथृ ा वर्दं ि है ,

वीरता िहीं , तो सभी वविय क्रन्र्दि है |

लसर पर जिसके अलसघात , रतत चंर्दि है ,

भ्रामरी उसी का करती अलभिंर्दि है |


1) स्वतंत्रता भीतरी गुण तयों है?​

Answers

Answered by jaini09
0

Answer:

Good poem. Lagi hai

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