संवाद लेखन अभ्यास करके लाये
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अच्छी संवाद-रचना के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(1) संवाद छोटे, सहज तथा स्वाभाविक हों।
(2) संवादों में रोचकता एवं सरसता हो।
(3) इनकी भाषा सरल, स्वाभाविक और बोलचाल के निकट हो। उसमें क्लिष्ट तथा अप्रचलित शब्दों का प्रयोग न हो।
(4) संवाद पात्रों की सामाजिक स्थिति के अनुकूल हों। अनपढ़ या ग्रामीण पात्रों और शिक्षित पात्रों के संवादों में अंतर रहना चाहिए।
(5) संवाद जिस विषय या स्थिति के सम्बन्ध में हों, उसे क्रमशः स्पष्ट करने वाले हों।
(6) प्रसंग के अनुसार संवादों में व्यंग्य-विनोद का समावेश होना चाहिए।
(7) यथास्थान मुहावरों तथा लोकोक्तियों के प्रयोग से संवादों में सजीवता आ जाती है।
सुनीता - अग वनिता, ओळखलस का ?
वनिता - हो ग सुनिता. किती दिवस भेटली नाहीस काय करतेयस आजकल?
सुनीता - अग नोकरी करते एका सॉफ्टवेअर कंपनीत, आणि तू?
वनिता - मी स्वतःचा व्यवसाय सुरू केलाय संगणक विक्री चा?
सुनीता - अच्छा! पण नोकरी करणंच उत्तम, नियमित पगार नफ्या-तोट्याची चिंता नाही.
वनिता - अग पण जर स्वताचा व्यवसाय असेल तर आपल्या मर्जीनुसार वेळ ठरवू शकतो ना.
सुनीता - हा तेही आहे. पण पक्की नोकरी असली की पगार भत्ता भेटतो आणि विमासुद्धा.
वनिता - हो. मला तर व्यवसायच चांगला वाटतो कुणाची गुलामगिरी नाही की काही नाही.
सुनीता - चल ठिके, चलते मी..