संवाद लेखन चांद और सूरज के बीच हुए संवाद को रोचक एवं प्रभावशाली बनाकर प्रस्तुत करें.
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meenakshilabel
25.06.2017
Hindi
Secondary School
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Conversation between the sun and the moon in hindi pls pls pls its urgent.
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ishika2004
Virtuoso
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सूरज : क्या बात है चाँद मियां, बड़े दुखी नज़र आ रहे हो?
चन्द्रमा : क्या बताऊँ सूरज भाई, मुझे आप ही की तरह हमेशा जगमगाना अच्छा लगता पर पुरे महीने में मुश्किल से केवल एक पूर्णिमा की रात मिलती हे पूरी तरह नजर आने के लिए।
सूरज : और बाकि रातें भी तो आप नजर आते हैँ|
चन्द्रमा: हाँ जी नजर तो आता हूँ पर पूरा नहीं। हमेशा ही घटता बढ़ता रहता हूँ।
सूरज : तो इसमें क्या समस्या है?
चन्द्रमा : समस्या? अधूरेपन का एहसास होता है जनाब। और ये क्या अच्छा लगेगा किसी को?
सूरज : तो ये बात है जो आपको दुःख दे रही है!!
चन्द्रमा : हाँ।
सूरज : अगर ऐसा है तो मुझे भी दुखी होना चाहिये था।
चन्द्रमा : आपको क्यूँ?
सूरज : अरे भाई सभी लेखकों, कवियों और गीतकारों ने तो केवल आप ही कलाओं यानि घटते बढ़ते आकार से कल्पना कर के अनगिनत कहानियां, गीत, कविताएँ, प्रेम प्रसंग इत्यादि रच डाले है।
प्रेमी युगल आप ही की उपमाएं देकर अपने अपने साथी को रिझाते हैं।
और मुझे तो कोई पूछता ही नहीं। केवल गर्मी और रौशनी के लिये ही मेरी जरूरत मानते हैँ।
चन्द्रमा : सही कहा आपने। ये तो मुझे ख्याल ही नहीं आया की मुझे तो लोग आपसे भी चाहते हैँ और वह भी मेरे घटते बढ़ते आकर के कारण।
सूरज : तब अब तो खुश हो न?
चन्द्रमा : हाँ जी बहुत खुश। इसलिए अब मैं चला.....
I hope this helps you
plz mark me as brain list
Answer:
सूरज ने पूछा चांद से,
बोल तेरी है क्या पहचान ।
क्यों इतना इठलाता है तू,
जैसे तू है सबसे महान ।।
मुझसे लेकर रौशनी,
चमकाते सारा जहान ।
फिर भी इतना इतराते हो,
जैसे हवा में कोई तूफान ।।
ठण्ड में लोगों के लिए,
लाते हो मौत का फ़रमान ।
मुझको देख ठण्ड में,
लोगों को मिलती जान में जान ।।
बोलो भी अब क्या हुआ,
क्यों बने हो तुम अंजान ।
फिर भी तुम को लोग सारे,
कहते है क्यों चंद्र भगवान ।।
इतना सुनकर चांद ने भी,
भर लिया अपनी उड़ान ।
कह दिया सूरज को तुम हो,
आग के गोले नादान ।।
ठण्ड में भले ही तुमको,
देख मिलती जान में जान ।
गर्मियों में तुम्हारा ही,
लोग करते हैं अपमान ।।
माना मैं तुमसे ही रोशनी,
लेकर जगमगाऊं सारा जहान ।
फिर भी गर्मियो में लोगों,
के लिए बनता हूं जान ।।
मेरी जो पहचान है वो,
है तुम्हारी भी पहचान ।
ठण्ड में तुम राजा हो तो,
गर्मियों में मैं हूं महान ।।
मैं अगर भगवान हूं तो,
तुम भी हो इक भगवान ।
छठ में पुजे तुम्हें,
स्त्रियां सारा जहान ।।
सुनकर उत्तर चांद का,
सूरज भी हो गया हैरान ।
आ गया उसको समझ में,
हम दोनों है एक समान ।।
- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।