संवाद-लेखन (किसी एक विषय पर)
Answers
Answer:
पड़ोसी और अँगनू काका का संवाद
पड़ोसी- यह पिल्ला कब पाला, अँगनू काका ?
अँगनू काका- अरे भैया, मैंने काहे को पाला। यहाँ अपने ही पेट का ठिकाना नहीं। रात में न जाने कहाँ से आ गया!
पड़ोसी- तुम इसे पाल लो, काका।
अँगनू काका- भैया की बातें !इसे पालकर करेंगे क्या ?
पड़ोसी- तुम्हारी कोठरी ताका करेगा।
अँगनू काका- कोठरी में कौन खजाना गड़ा है, जो ताकेगा।
Explanation:
अच्छी संवाद-रचना के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(1) संवाद छोटे, सहज तथा स्वाभाविक हों।
(2) संवादों में रोचकता एवं सरसता हो।
(3) इनकी भाषा सरल, स्वाभाविक और बोलचाल के निकट हो। उसमें क्लिष्ट तथा अप्रचलित शब्दों का प्रयोग न हो।
(4) संवाद पात्रों की सामाजिक स्थिति के अनुकूल हों। अनपढ़ या ग्रामीण पात्रों और शिक्षित पात्रों के संवादों में अंतर रहना चाहिए।
(5) संवाद जिस विषय या स्थिति के सम्बन्ध में हों, उसे क्रमशः स्पष्ट करने वाले हों।
(6) प्रसंग के अनुसार संवादों में व्यंग्य-विनोद का समावेश होना चाहिए।
(7) यथास्थान मुहावरों तथा लोकोक्तियों के प्रयोग से संवादों में सजीवता आ जाती है।