संवाद लेखन माँ और बेटा के बीच शुभ uthne की baat par
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मां ने बेटे से कहा कि तुम आज फिर देर से उठे हो तो बच्चे ने कहा कि मां यह सुबह उठने या देर उठने से कुछ फर्क नहीं पड़ता है तो मैंने उसे कहा कि तुम आज नहीं समझ सकते तुम्हें फर्क पड़ रहा है या नहीं तुम्हारे आने वाले जीवन में तुम्हें यह पता चलेगा कि तुम्हें उस समय फर्क पड़ता था कि नहीं तो जब उसकी मां ने उससे नाश्ते के लिए बुलाया तो वह बहुत ही जल्दी जल्दी नाश्ता करने लगा जल्दी जल्दी ब्रश करने लगा जल्दी जल्दी नहाने लगा तो उसकी मां ने उसे कहा बेटा जरा धीरे धीरे करो तो उसने अपनी मां से कहा कि मां मुझे बहुत देर हो रही है तो उसकी मां ने कहा कि तुमने तो ही कहा था कि देखने से यह सोचने से कुछ फर्क नहीं पड़ता तो यह क्या तुम्हें हो गया तो मां ने कहा अगर तुम सुबह उठते तो तुम आराम से नहाते मंजन करते हैं और आराम से नाश्ता करते आराम से स्कूल पहुंच जाते लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया और बेटा समय हमारे लिए कभी नहीं रुकता हमें समय की कद्र करनी चाहिए नहीं तो जो सब में चला जाएगा वह समय में दोबारा नहीं मिलेगा।
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