संवाद लेखन maa and son
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आई : तुम आज ऑफिस को नहीं गये उठ आता सात वाजले आहेत.
मुलगा : मला जरा उशीर होणार आहे.
आई : तू केव्हा जाणार?
मुलगा : दुपारच्या जेवणाच्या नंतर 2 वाजता.
आई : जेवताना मी काय शिजवावे?
मुलगा : अशी डिश बनवा जी अजूनपर्यंत बनलेली नाही.
आई : अशी कोणती डिश असू शकते?
मुलगा : छान बटाट्याची भाजी आणि परांठा तयार करा.
आई : तुला या गोष्टी आवडतात का?
मुलगा : मी त्यांना सँडविच करीन.
आई : तुला भात खीर आवडेल का?
मुलगा : हो का नाही?
आई : आता अंथरूण सोडून आधी आंघोळ कर.
मुलगा : ओ हो शूज पॉलिश करायच्या आहेत आणि तातडीच्या कामासाठी मला माझ्या मित्राकडेही जावे लागेल.
आई : टेबल आधीच घातलेला आहे.
Answer:
Maa aur bete ke beech samvad- Samvad Lekhan
बेटा : माँ कल हम सब दोस्त फिल्म देखने जा रहे हैं ।
माँ : बेटा अभी पिछले हफ्ते ही तो तुम सुब दोस्त फिल्म देखने गए थे और इतनी जल्दी फिर से फिल्म देखने जा रहे हो ।
बेटा : माँ बहुत ही अच्छी फिल्म है ।
माँ : देखो बेटा हमने आजतक तुम्हे किसी चीज़ के लिए मना नहीं किया, लेकिन ये बार-बार फिल्म देखने का शौक ठीक नहीं । इसके लिए ना तो मैं तुम्हे अनुमति दूँगी और ना ही तुम्हारे पिताजी ।
बेटा : पर माँ सभी दोस्त जा रहे हैं ।
माँ : सभी दोस्तों की जिम्मेदारी हमारी नहीं है । हमारे पर तुम्हारी जिम्मेदारी है । कभी-कभार फिल्म देखना घूमना अच्छा है, लेकिन किसी चीज़ का चस्का अच्छी बात नहीं ।
बेटा : पर माँ मैं हमेशा थोड़ी जाता हूँ ।
माँ : देखो बेटा, रोज तुम अपने दोस्तों के साथ दो घंटे खेलने जाते हो । तुम ही बताओ उसके लिए हमने कभी मना किया ? ना ही कभी किसी दोस्त के जन्मदिन में जाने से मना किया ना ही किसी और काम के लिए जहाँ हमें लगेगा कि किसी बात का तुम्हारे भविष्य पर गलत प्रभाव पड़ेगा तो वह हम नहीं करने देंगे । बाकी तुम समझदार बच्चे हो । अपना हित और अनहित समझते ही हो । आशा है तुम्हे मेरी बात समझ आ गई होगी ।
बेटा : हाँ माँ, आप सही कह रही हो । मुझे आप की बात समझ आ गई है । मैं आगे से इस बात का ध्यान रखूँगा ।