संवाद लेखन पटाके न चलने पर
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चाँद - अरे राम ! कहाँ जा रहे हो ?बड़े जल्दी में हो ?
राम - हाँ मित्र , दिवाली आ रही है तो पिताजी के साथ पटाखे लेने जा रहा हूँ ।
चाँद - तुम सच में पटाखे लेने जा रही हो ।
राम - हाँ भाई , तुम्हें भी मंगवाने है तोह बताओ मैं तुम्हरे लिए भी ले आऊंगा।
चाँद - तुम रहने ही दो ।पटाखों से वायु प्रदूषण के अलावा ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। पटाखों से निकली गैसें अनेक बीमारियों को जन्म देती हैं।मुझे तो नहीं चलने ।
राम - बिन पटाखे कैसे दिवाली ?
चाँद - दीपावली दीपों का पर्व है, पर पटाखों से दीपावली से पर्यावरण को नुकसान होता है।मैं तोह बार बार यही कहु गा तुम भी पटाखे मत चलाओ ।
राम - तुम अपना ज्ञान अपने पास रखो ।
चाँद - ठीक है ।चलता हूँ ।
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