*संवाद लेखन*
धागों के बंधन से मुक्त होने के लिए दो कठपुतलियों की आपसी बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।
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पाठ-04 कठपुतली
कविता से
1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर:- कठपुतली को सदा दूसरों के इशारों पर नाचने से दुःख होता है क्योंकि उसे चारों ओर से धागों के बंधन से बाँध रखा गया था। वह इस बंधन से तंग आ गई थी। वह स्वतंत्र रहना चाहती है। धागे में बंधना उसे पराधीनता लगती है इसीलिए उसे गुस्सा आता है।
2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?
उत्तर:- कठपुतली अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है अर्थात् पराधीनता उसे पसंद नहीं लेकिन खड़ी नहीं होती क्योंकि उसके पैरों में स्वतंत्रत रूप से खड़े होने की शक्ति नहीं है। स्वतंत्रता के लिए केवल इच्छा ही नहीं क्षमता की भी आवश्यकता होती है जो कठपुतली में नहीं है।
3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी नहीं लगी?
उत्तर:- जब पहली कठपुतली ने स्वतंत्र होने के लिए विद्रोह किया तो दूसरी कठपुतलियों को भी यह बात बहुत अच्छी लगी क्योंकि बंधन में रहना कोई पसंद नहीं करता। वे भी अपनी इच्छानुसार जीना चाहती थी। वे भी बंधन में दुखी हो चुकी थीं।
4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि -‘ये धागे/क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड़ दो;/मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’ -तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि – ‘ये कैसी इच्छा/मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए –
• उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।
• उसे शीघ्र स्वतंत्रत होने की चिंता होने लगी।
• वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
• वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तर:- कठपुतली अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है अर्थात् पराधीनता उसे पसंद नहीं लेकिन खड़ी नहीं होती क्योंकि जब उस पर सभी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है, तो वह डर जाती है। उसे ऐसा लगता है कि कहीं उसका उठाया गया कदम सबको मुश्किल में न डाल दे और अभी उसकी उम्र भी कम है अत: उसे दूसरों के सहारे की भी जरुरत थी। साथ ही स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद उसे बनाए रखना भी तो जरुरी होता है इसलिए कथनी और करनी में अंतर होता है जिसे कठपुतली समझ चुकी थी।