संविधान की आत्मा का क्या अर्थ है
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भारत के संविधान की आत्मा "संविधान की प्रस्तावना " को कहा जाता है ,संविधान सभा के विद्वान सदस्य ठाकुर दास भार्गव ने प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा था |संविधान की प्रस्तावना ही संविधान की आत्मा है क्योकि संविधान के मूल को समझने के लिए प्रस्तावना को समझना होगा क्योकि संविधान की प्रस्तावना ही आधारशिला है |
संविधान को ब्यापक रूप से समझने की कुंजी है प्रस्तावना जिस प्रस्तावना का जिक्र पूरे विश्व में हुवा है |
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संविधान की आत्मा का अर्थ संविधान की प्रस्तावना से है संविधान की प्रस्तावना में यह लिखा गया है कि संविधान सर्वसम्मति से बनाया गया है यह किसी की संपत्ति नहीं है इसीलिए संविधान में अधिकारों का उल्लेख भी है
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