संवैधानिक उपचार का अधिकार को भीमराव अंबेडकर ने संविधान की हत्या एवं आत्मा क्यों कहा
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संवैधानिक उपचारों का अधिकार स्वयं में कोई अधीकार न होकर अन्य मौलिक अधिकारों का रक्षोपाय है। इसके अंतर्गत व्यक्ति मौलिक अधिकारों के हनन की अवस्था में न्यायालय की शरन ले सकता है। इसलिए डॉक्टर अंबेडकर ने अनुच्छेद 32 को संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद बताया। एक अनुच्छेद जिसके बिना संविधान अर्थहीन है, यह संविधान की आत्मा एवं हृदय है।
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