संविधान निर्माण में बुनियादी मूल्य का क्या महत्व है
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संविधान निर्माण में बुनियादी मूल्यों का बड़ा ही महत्व है। संविधान के बुनियादी मूल्य निम्नलिखित हैं, जिनका विवेचन इस प्रकार है...
भारत के लोग : भारत के संविधान का निर्माण और उसमें दिए गए सारे अधिनियम भारत के लोगों के लिए ही बनाए गए हैं और भारत के लोगों ने ही बनाए हैं।
लोकतंत्र : भारत सरकार का स्वरूप लोकतांत्रिक है, जिसमें सभी लोगों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं तथा भारत की जनता ही अपने शासक-प्रतिनिधि का चुनाव करती है और वह प्रतिनिधि भारत की जनता के प्रति जवाबदेह हैं, जो संविधान द्वारा प्रदत्त नियमों के अनुसार चलने के लिये बाध्य है।
प्रभुत्व संपन्न : भारत के लोगों को स्वयं से जुड़े हर मामले में अपना फैसला लेने का सर्वोच्च अधिकार है। ये उनकी संप्रभुता है और कोई भी बाहरी शक्ति इस मामले में दखल नहीं कर सकती।
समाजवादी समाज : भारत में सामाजिक समानता कायम रहनी चाहिए और समाज के हर क्षेत्र में सर्वत्र समानता व्याप्त हो और एक समाजवादी व्यवस्था कायम हो।
धर्म-पंथ निरपेक्ष : भारत के नागरिकों को अपने इच्छा अनुसार किसी भी धर्म या पंथ को मानने की पूर्ण स्वतंत्रता है और भारत देश का कोई भी राजकीय धर्म नहीं है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।
गणराज्य : भारत एक गणराज्य है, न कि राजशाही। भारत का जो भी शासन प्रतिनिधि है वह भारत की जनता द्वारा चुना जाएगा ना कि वह किसी वंश परंपरा या राजसी परंपरा के अंतर्गत भारत का शासक बनेगा।
न्याय : भारत में सभी जाति, धर्म और सभी वर्गों के लिए एक समान न्याय व्यवस्था कायम हो।
स्वतंत्रता : भारत को नागरिकों को विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।
कानूनी समानता : भारत का कानून सभी समाज के सभी वर्गों के लिए समान है। इसमें अमीरी-गरीबी, ऊंच-नीच, जात-पात धर्म-लिंग पर आधारित भेदभाव न हो।
बंधुता : भारत के सभी नागरिकों में बंधुत्व की भावना कायम रहे। भारत के नागरिक चाहे किसी भी धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा, राज्य से संबंध रखते हों, लेकिन वह भारत के ही नागरिक हैं और उनकी एकमात्र पहचान भारतीय है।