संविधान संशोधन में अनुच्छेद 368
क्या महत्व है
Answers
Answer:
संसद को संविधान में बदलाव करने के अधिकार कहां तक हैं? जानिए प्रक्रिया और महत्वपूर्ण निर्णय
Explanation:
संसद को यह अधिकार है कि वह दोनों सदनों में बहुमत से किसी कानून में बदलाव कर सकती है। ये सभी उसके उदाहरण हैं, लेकिन क्या संसद को यह अधिकार है कि वह संविधान में संशोधन कर सकती है? अक्सर हम खबरों में देखते, पढ़ते हैं कि संसद में फलां कानून में संशोधन किया गया। हाल ही में लोकसभा में एनआईए एक्ट संशोधन बिल पास हुआ। इसी तरह मोटर व्हिकल एक्ट संशोधन बिल भी संसद के दोनों सदनों में पास हुआ। संसद को यह अधिकार है कि वह दोनों सदनों में बहुमत से किसी कानून में बदलाव कर सकती है। ये सभी उसके उदाहरण हैं, लेकिन क्या संसद को यह अधिकार है कि वह संविधान में संशोधन कर सकती है? इस सवाल का जवाब हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णयों की रोशनी में तलाश करेंगे। Also Read - भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 18 : लापरवाही से मृत्यु कारित करना तथा दहेज मृत्यु का अपराध भारत के संविधान की बड़ी विशेषताओं में यह भी है कि वह न तो अमेरिका के संविधान की तरह कठोर है और न ही इंग्लैंड के संविधान की तरह लचीला है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय बीच का रास्ता अपनाया और परिस्थितियों के अनुसार इसमें संशोधन की गुंजाइश छोड़ी है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 368 में संविधान की शक्ति और उसमें संशोधन की प्रक्रिया बताई गई है। क्या कहता है आर्टिकल 368 भारतीय संविधान का आर्टिकल 368 कहता है कि संसद को एक प्रक्रिया के तहत संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्राप्त है। 1951 से लेकर जनवरी 2019 तक संसद में 103 संविधान संशोधन विधेयक पारित हो चुके हैं। इन तीन बिंदुओं के अंतर्गत संविधान में संशोधन किया जा सकता है।
Hyy...
- संविधान के भाग 20 का अनुच्छेद 368 संसद को संविधान तथा इसकी प्रक्रियाओं को संशोधित करने की शक्तियाँ प्रदान करता है। अनुच्छेद 368 में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार संसद संविधान में नये उपबंध जोड़कर या किसी उपबंध को हटाकर या बदलकर संविधान में संशोधन कर सकती है।
@LittleButterfly ~♡~