Political Science, asked by sameerkumar92926, 5 months ago










संविधान
समर्थ और प्रभावी बनाने वाले
वर्णन डीजिए।​

Answers

Answered by varsha5160
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Answer:

please ask me in Hindi........

Answered by zoharameen88
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Answer:

संविधान संशोधन का उल्लेख एवं अधिकार

संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया अनुच्छेद 368 में निर्धारित की गई है। संविधान में इस उद्देश्य हेतु किसी अन्य संविधायी निकाय की व्यवस्था नहीं की गई है, अपितु इसकी भी शक्ति संसद को ही दी गई है।

संविधान संशोधन विधेयक किस सदन में पेश किया जा सकता है...कौन पेश कर सकता है

संविधान में संशोधन करने के लिए विधेयक दोनों में से किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। सरकार या गैर सरकारी सदस्य, दोनों के द्वारा एेसा विधेयक लाया जा सकता है। लेकिन सामान्यतया मंत्रियों द्वारा लाए जाने वाले संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किए जाते हैं।

किसी गैर सरकारी सदस्य के विधेयक पर शर्त

किसी गैर सरकारी सदस्य द्वारा संविधान संशोधन विधेयक लाया जा जाता है तो उस पर लागू होने वाले साधारण नियमों के अलावा यह भी आवश्यक है कि गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति सदन में विधेयक के पेश किए जाने के लिए उसकी जांच करे और सिफारिश करे।

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संविधान संशोधन विधेयकों को कितनी श्रेणियों में रखा गया है ...

संविधान में संशोधन के प्रयोजन के लिए संविधान के अनुच्छेदों को तीन श्रेणियों में वर्गीकरण किया गया है।

-एेसे अनुच्छेद, जिनमें साधारण बहुमत से संशोधन किया जा सकता है।

-एेसे अनुच्छेद जिनमें संशोधन करने के लिए विशेष बहुमत अपेक्षित है, और

-एेसे अनुच्छेद जिनमें संशोधन करने के लिए विशेष बहुमत और कम से कम आधे राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अनुसमर्थन अपेक्षित है।

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साधारण बहुमत द्वारा संशोधन वाले मामले

संविधान के निम्नलिखित उपबंधों में संशोधन करने वाले विधेयक के लिए साधारण बहुमत का समर्थन अपेक्षित होता है और एेसा कोई विधेयक संविधान के अनुच् छेद 368 के अधीन संविधान संशोधन विधेयक नहीं माना जाता।

-नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना, नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन

-राज्य में विधान परिषदों के सृजन का उत्सादन

-अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन और नियंत्रण

-असम, मेघालय, और मिजोरम राज्यों में जनजातियों का प्रशासन

नए राज्यों का निर्माण करने के लिए वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन करने के लिए विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही संसद के दोनों में से किसी एक सदन में पेश किया जा सकता है।

सिफारिश करने से पूर्व राष्ट्रपति को संबंधित राज्यों के विचार, उसके द्वारा निर्धारित अवधि में जानने के लिए विधेयक उसे निर्दिष्ट किया जाए। हालांकि वह इस प्रकार प्राप्त हुए विचारों को मानने के लिए बाध्य नहीं होता है।

यदि किसी राज्य की विधानसभा अपने उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम, दो तिहाई सदस्यों के बहुमत से राज्य में विधान परिषद के उत्सादन या सृजन के संकल्प पास करती है तो संसद उस राज्य में विधान परिषद के उत्सादन या सृजन के लिए उपबंध करने वाला विधान पास कर सकती है। संसद एेसे संकल्प का अनुमोदन या निरनुमोदन कर सकती है अथवा चाहे तो उस पर कोई कार्यवाही न करे।

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विशेष बहुमत द्वारा संशोधन वाले मामले

संविधान के किसी अन्य भाग में संशोधन करने वाला विधेयक विशेष बहुमत द्वारा पास किया जाता है, अर्थात उस सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम दो तिहाई सदस्यों के बहुमत द्वारा। वास्तव में विशेष बहुमत केवल विधेयक के तृतीय वाचन की अवस्था में मतदान के लिए ही अपेक्षित है। परंतु पर्याप्त सावधानी के तौर पर विधेयक की सभी प्रभावी अवस्थाओं के संबंध में सदनों के नियमों में विशेष बहुमत का उपबंध किया गया है।

विशेष बहुमत+ राज्यों का अनुसमर्थन वाले संशोधन

संविधान के निम्नलिखित उपबंधों में संशोधन करने वाला विधेयक संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत द्वारा पास किया जाना होता है और राष्ट्रपति की अनुमति के लिए विधेयक उसके समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व कम से कम आधे राजयों के विधानमंडलों द्वारा संकल्प पास करके उनका अनुसमर्थन भी करना होता है।

-राष्ट्रपति का निर्वाचन

-संघ और राज्यों की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार

-उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय

-संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का वितरण

-संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व या

-संविधान में संशोधन करने की प्रकिया

संविधान में एेसी समय सीमा निर्धारित नहीं है जिसमें राज्यों के लिए इस प्रयोजन हेतु निर्दिष्ट संविधान संशोधन विधेयक पर अपने अनुसमर्थन की सूचना देनी अनिवार्य हो।

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