Political Science, asked by MananshuLLal, 2 months ago



संविधानवाद एक अंतर्भूतकालीन धारणा है, जबकि संविधान एक अपवर्जक धारणा।" स्पष्ट कीजिए।

Answers

Answered by netra97
1

Answer:

संविधानवाद सरकार के उस स्वरूप को कहते हैं जिसमें संविधान की प्रमुख भूमिका होती है। अधिकारियों को मनमाने निर्णय की छूट होने के स्थान पर 'कानून के राज्य' का पक्ष लेना ही संविधानवाद है। संविधानवाद की मूल भावना यह है कि सरकारी अधिकारी कुछ भी, और किसी भी तरीके से, करने के लिये स्वतंत्र नहीं हैं बल्कि उन्हें अपनी शक्ति की सीमाओं के अन्दर रहते हुए ही कार्य करने की आजादी (या बन्धन) है और वह भी संविधान में वर्णित प्रक्रिया (procedures) के अनुसार।

ऐतिहासिक प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप ही संविधानिक राज्यों का जन्म हुआ। मनुष्य द्वारा राजसत्ता के अत्याचार व दुरूपयोग के बचने के प्रयास के परिणाम स्वरूप संविधानवाद का जन्म हुआ। आधुनिक संविधानवाद के विस्तृत आधार हैं, किन्तु इसका मूल आधार ‘‘विधि का शासन’’ ही माना जाता है। प्राचीन काल से ही ऐसे विविध विचारो पर चिन्तन किया जाता रहा हैं जो राजसत्ता को प्रभावी ढ़ंग से नियंत्रित कर सके एवं उसके सद्-प्रयोग में सहायक बन सके। इस दृष्टिकोण से प्राचीनकाल से ही राजसत्ता एवं नैतिक अभिबन्धनों एवं धार्मिक मान्यताओं के साथ ही शाश्वत विधि, प्राकृतिक विधि, दैवीय विधि एवं मानवीय विधि के रूप में विभिन्न उपायों पर विचार करने की लम्बी परम्परा दीख पड़ती हैं।

Similar questions