सेवा धारक कौन होतa हैं
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सेवा कर किसी व्यक्ति को प्रदान की गई सेवाओं पर लगाया जाता है और इस कर का भुगतान करने की जिम्मेदारी सेवा प्रदाता की होती है। यह एक अप्रत्यक्ष कर है क्योंकि यह सेवा प्रदाता द्वारा उसके व्यावसायिक लेन-देन की अवधि में सेवा प्राप्तकर्ता से वसूल किया जाता है। भारत में सेवा कर वित्त अधिनियम, 1994 के अध्याय V द्वारा इस वर्ष 1994 में शुरू किया गया है। वर्ष 1994 में प्रारम्भिक रूप में यह कर सेवाओं के तीन सैटों पर लगाया गया था और तब से सेवा कर का कार्यक्षेत्र में अनुवर्ती वित्त अधिनियमों द्वारा निरन्तर विस्तार किया जा रहा है। वित्त अधिनियम के तहत सेवा कर की उगाही जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में की जा रही है।
वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग के तहत केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सी बी ई सी) सेवा कर लगाने और वसूल करने से संबंधित नीति तैयार करने का कार्य करता है। केंद्रीय सरकार प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सेवा कर के निर्धारण और वसूली के प्रयोजनार्थ सेवा कर नियामवली तैयार करती है। सेवा कर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड के अधीन कार्यरत विभिन्न केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालयों द्वारा प्रशासित किया जा रहा है। दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नै, अहमदाबाद और बैंगलोर आदि महानगरों में छह आयुक्तालय स्थित हैं जो पूर्णतया सेवा कर से संबंधित कार्य करते हैं। मुम्बई स्थित सेवा कर निदेशालय तकनीकी और नीतिगत स्तर पर समन्वयन के लिए क्षेत्रीय स्तर के कार्यकलापों का निरीक्षण करता है। पहले यह 12 फीसदी था, लेकिन आर्थिक मंदी के चलते अब इसे घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। सर्विस टैक्स फोन, रेस्तरां में खाना, ब्यूटी पार्लर या जिम जाने जैसी सेवाओं पर वसूला जाता है।