स्वाध्याय
मनुष्य को अपने जीवन की आवश्यकता पूर्ण करने के लिए
बहुत कुछ श्राम करना पड़ता है। इस श्रम से शके ए सून
और मस्तिष्क को विश्राम की आवश्यकता होती है, बारीर
पूर भी इस श्रम का प्रमाव पड़ता हैं। इसलिए वह भी
विश्राम माँगता है किंतु यदि मनुष्य मालमी की भाँति
सीधा चारपाई पर लेट जाए तो इसमे वह थकान मले
उतारले, परंतु वह नया उत्साह नहीं पा सकता जो
उसे मगले दिन फिर से काम करने की शक्ति प्रदान
कर सकायह तभी हो सकता है जब दिन भर के काम
मेयके मन को हम- खेलकर बहला लिया जाए।
आकर्षक गीत सुनकर या सुंदर दृश्य देशकर दिन भर
पढ्न मथवा सोचने से दिमाग पर जो प्रभाव पड़ा हो,
उसे निकालकर मस्तिष्क को उम चिंता से दूर कर देना
चाहा इसका परिणाम यह होगा कि मनुष्य पुन: विषय
पर नई शक्ति से सोच-विचार कर सकेगा।
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स्वाध्याय
मनुष्य को अपने जीवन की आवश्यकता पूर्ण करने के लिए
बहुत कुछ श्राम करना पड़ता है। इस श्रम से शके ए सून
और मस्तिष्क को विश्राम की आवश्यकता होती है, बारीर
पूर भी इस श्रम का प्रमाव पड़ता हैं। इसलिए वह भी
विश्राम माँगता है किंतु यदि मनुष्य मालमी की भाँति
सीधा चारपाई पर लेट जाए तो इसमे वह थकान मले
उतारले, परंतु वह नया उत्साह नहीं पा सकता जो
उसे मगले दिन फिर से काम करने की शक्ति प्रदान
कर सकायह तभी हो सकता है जब दिन भर के काम
मेयके मन को हम- खेलकर बहला लिया जाए।
आकर्षक गीत सुनकर या सुंदर दृश्य देशकर दिन भर
पढ्न मथवा सोचने से दिमाग पर जो प्रभाव पड़ा हो,
उसे निकालकर मस्तिष्क को उम चिंता से दूर कर देना
चाहा इसका परिणाम यह होगा कि मनुष्य पुन: विषय
पर नई शक्ति से सोच-विचार कर सकेगा।
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ye Kya h. isme que Kya h?!?!?!!
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