स्वाध्याय
प्रश्न. पुडील मुद्यांच्या आधारे कथालेखन करा :
१
मुद्दे : लोभी राजा- संपत्तीची हाव
तपश्चर्या करतो देव प्रसन्न राजा
म्हणतो. हात लावीन त्याचे सोने होऊ दे."-देव कबूल सर्व काही सोन्याचे राजाची
राजाला पश्चात्ताप.]
अतिलोभामुळे सर्वनाश
उत्तर:
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Answers
फार फार वर्षापूर्वीची गोष्ट. इंद्रप्रस्थ एका आटपाट नगराचा राजा होता. त्याच्या राज्यात सर्व काही छान चालले होते. पण तरीही राजा अस्वस्थ होता. कारण त्याच्याकडे भरपूर धन होते. तरीही त्याला अजून धन मिळावे असे वाटे.
एके दिवशी त्याच्या दरबारात एक थोर तपस्वी येतो. राजा दोन दिवस त्यांची मनोभावे सेवा करतो. ते पाहून तो तपस्वी खूश होतो व त्याला म्हणतो, 'राजा, तू माझी जी सेवा केली त्याने मी प्रसन्न झालो आहे. तू पाहिजे तो वर माग'. तो लोभी राजा म्हणातो, 'मला असा वर द्या की मी ज्या वस्तूला हात लावेन ती सोन्याची होईल.' तपस्वी म्हणतो, 'नीट विचार कर. नंतर पश्चाताप करशील.'
राजा आपल्या मागणीवर ठाम असतो. तपस्वी तथास्तू म्हणतो. राजा लगेच शेजारच्या सिंहासनाला हात लावतो. ते सोन्याचे होते.
तो खूष होतो. मग तो पुढे ज्या वस्तूंना हात लावतो, त्या सोन्याच्या व्हायला लागतात. थोड्यावेळाने त्याला भूक लागते. म्हणन तो फलाहार करायला जातो, पण ती फळेही सोन्याची होतात.
त्याला काहीच खाता, पिता येत नाही. कारण ज्याला तो हात लावी ते सोन्याचे होई. निराश झालेला राजा आपल्या सिंहासनावर बसलेला असताना त्याची मुलगी बागेतून खेळून त्याच्याकडे येते. तो आनंदातने तिला घेण्यासाठी हात करतो, तर ती ती सोन्याची होऊन जाते. राजा अतिशय दु:खी होतो.
त्याला एकदम रडू कोसळते. त्याची लाडकी मुलगी त्याला मिळालेल्या वरामुळे सोन्याची मूर्ती होऊन बसली होती. त्याला आपली चुक कळते, पण आता फार उशीर झालेला असतो.