History, asked by tara4pracheta82, 4 months ago

स्वाध्याय सफलता की कुंजी है समझाइए​

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Answered by Anonymous
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wfvefvrhnsndcndcnbvc

sorry for spamming coz I wanna ask question but don't have points...

sorry

Answered by hemakumar0116
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सफलता की कुंजी कहती है कि व्यक्ति को अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर रहना चाहिए. गंभीर होने पर ही लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता मिलती है. सफलता जब कुछ कदम की दूरी पर हो यानि, सफलता नजदीक हो तो व्यक्ति को बहुत ही सतर्क और सावधान हो जाना चाहिए. क्योंकि ये ऐसा पल होता है जब आपकी एक गलती पूरी मेहनत को नष्ट कर सकती है. इसलिए इस अवसर पर कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए-

अनुशासन- सफलता की कुंजी कहती है कि अनुशासन के बिना सफलता प्राप्त करना मुश्किल होता है. अनुशासन की भावना से जब कोई कार्य किया जाता है तो सफलता की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है. अनुशासन कार्य को समय पर पूर्ण करने के लिए प्रेरित करता है. अनुशासन कार्य की गुणवत्ता में भी वृद्धि करता है, जिस कारण आपका कार्य दूसरों से भिन्न दिखाई देता है, यही कुछ कारण हैं जो आपको दूसरों अलग करते हैं. सफलता नजदीक हो तो कठोर अनुशासन का पालन करना चाहिए.

समय प्रबंधन- सफलता की कुंजी कहती है कि सफलता नजदीक हो तो समय प्रबंधन का विशेष ध्यान देना चाहिए. जो लोग समय का महत्व नहीं समझते हैं उन्हें सफलता के लिए इंतजार करना पड़ता है. समय के साथ चलने वाले और समय को सही ढ़ग से उपयोग करने वाले सफलता प्राप्त करते हैं ऐसे लोग अपने लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त करते हैं. सफलता जब करीब हो तो एक एक पल कीमती हो जाता है, इस समय का सही प्रयोग करने के लिए योजना बनाकर कार्य करना चाहिए.

परिश्रम- सफलता की कुंजी कहती है कि परिश्रम से ही सफलता प्राप्त होती है. परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है. सफलता तभी संभव है जब व्यक्ति कठोर परिश्रम करता है. सफलता जब पास हो तो व्यक्ति को लापरवाही से बचना चाहिए. परिश्रम करते रहना चाहिए. गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं व्यक्ति को परिश्रम करते रहने चाहिए. जो परिश्रम से बचते हैं उन्हें आगे चलकर दुख और कष्ट मिलता है.

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