Hindi, asked by adeshbhullar4035, 1 year ago

स्वावलंबन पर निबंध। Essay on Self-Reliance in Hindi

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Answered by Anonymous
77

Answer:

Explanation:

मानव जीवन में परतन्त्रता सबसे बड़ा दुख है और स्वतन्त्रता सबसे बड़ा सुख है। स्वावलम्बी मनुष्य कभी परतन्त्र नहीं होता, वह सदैव स्वतन्त्र रहता है। दासता की श्रृंखलाओं से मुक्त आत्मनिर्भर मनुष्य कभी दूसरों पर आश्रित नहीं होता। वह कठिन-से-कठिन कार्य को स्वयं करने की क्षमता रखता है। परमुखोपेक्षी व्यक्ति न स्वयं उन्नति कर सकता है और न अपने देश और समाज का कल्याण कर सकता है। स्वावलंबन वह दैवी गुण है, जिससे मनुष्य और पशु में भेद मालूम पड़ता है। पशु का जीवन, उसका रहन-सहन उसका भोजन सभी कुछ उसके स्वामी पर आधारित रहता है, परन्तु मनुष्य जीवन स्वावलम्बनपूर्ण जीवन है, वह पराश्रित नहीं रहता। अपने सुखमय जीवनयापन के लिये वह स्वयं सामग्री जुटाता है, अथक प्रयास करता है। बात-बात में वह दूसरों का सहारा नहीं हूँढता, वह दूसरों का अनुगमन नहीं कटता, अपितु दूसरे ही उसके आदर्शों पर चलकर अपना जीवन सफल बनाते हैं। जिस देश के नागरिक स्वावलम्बी होते हैं, उस देश में कभी भुखमरी, बेरोजगारी और निर्धनता नहीं होती, वह उत्तरोत्तर उन्नति करता जाता है। कौन जानता था कि जापान में इतना भयानक नरसंहार और आर्थिक क्षति होने के बाद भी वह कुछ ही वर्षों में विश्व की महाशक्तियों में अपना स्थान बना लेगा, फिर हरा-भरा हो जायेगा और फलने-फूलने लगेगा। परन्तु वहाँ की स्वावलम्बी जनता ने यह सिद्ध कर दिया कि सफलता और समृद्धि परिश्रमी और स्वावलम्बी व्यक्ति के चरण चूमा करती है। एक जापानी तत्व ज्ञानी का कथन है कि हमारी दस करोड़ उंगलियाँ सारे काम करती हैं इन ही उंगलियों के बल से सम्भव है, हम जगत् को जीत लें।" स्वावलम्बन के अमूल्य महत्त्व को स्वीकार करते हुए उसके समक्ष कुबेर के कोष को भी विद्वान तुच्छ बना देते हैं-

Answered by arnav134
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1. भूमिका:

स्वावलंबन का अर्थ है अपने आप पर निर्भर (Dependent on oneself) रहना । इसलिए स्वावलंबन को आत्मनिर्भरता भी कहते हैं । कहा जाता है कि दूसरों के भरोसे रहना या दूसरों पर अवलंबित रहना गुलाम (Slave) होने केसमान होता है । स्वावलंबी व्यक्ति ही अपने जीवन में हर प्रकार की उन्नति (Development) कर सकता है और सदा स्वाधीन रहते हुए सुखी जीवन जी सकता है ।

2. अभाव से हानियाँ:

दूसरों के भरोसे रहने वाला व्यक्ति लोगों की नजर में एकदम छोटा हो जाता है और उसका अपना कोई व्यक्तित्व (Personality) नहीं रहता । वह दूसरों की इच्छा पर निर्भर रहता है । वह कायर (Coward) और साहसविहीन (Courageless) बन जाता है । छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए उसे दूसरों का मुँह देखना पड़ता है । हमारे देश के बार-बार गुलाम (Slave) सपष्ट बनने का यही कारण था कि इस देश के लोगों में स्वावलंबन नहीं था ।

लोग एक दूसरे को नुकसान (Harm) पहुँचाने में लगे रहते थे । एक ने शत्रु के साथ मिलकर अपने ही देश के लोगों के खिलाफ षड्‌यंत्र (Conspiracy) रचकर अपने आपको भी शत्रु का गुलाम बना लिया और पूरे देश को गुलामी की आग में झोंक दिया । अत: स्वावलंबी न होना ही मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है

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