सोवियत संघ का जन्म व वयवस्था full explain it plz 2 page tak karna hai
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सोवियत संघ 1917 में बना था. जब बोल्शेविक क्रांति हुई थी और ज़ार निकोलस द्वितीय को सत्ता से बेदखल कर के रूसी साम्राज्य को समाप्त कर दिया गया था. 1922 में लेनिन के नेतृत्व में दूर दराज़ के राज्यों को रूस में मिलाया गया और आधिकारिक रूप से यूएसएसआर की स्थापना हुई, जिसके प्रमुख थे व्लादीमिर लेनिन. जाहिर था कि ऐसे जटिल और विविध देश पर नियंत्रण करना आसान नहीं होगा.
ज़ार की तानाशाही से अलग होकर सोवियत संघ ने लोकतंत्र बनने की कोशिश की. लेकिन आखिरकार तानाशाही की स्थापना हुई, जिसमें सबसे प्रमुख तानाशाह हुए स्टालिन.
आगे चलकर एक तरह की संसद बनी, जिसे सुप्रीम सोवियत कहा गया लेकिन सारे फैसले कम्युनिस्ट पार्टी करती थी. देश का प्रमुख चुनने से लेकर हर फैसला पार्टी की एक छोटी सी समिति करती थी, जिसे पोलित ब्यूरो कहा जाता सोवियत संघ का विघटन ग़लत'
स्टालिन के समय से ही राजीनीति, अर्थव्यवस्था और आम जीवन पर पार्टी का नियंत्रण होता चला गया. विरोधियों को गुलग भेजा जाने लगा. गुलग, जहां लोगों को यातनाएं दी जातीं. लाखों लोग 'गुलग' में मारे गए.
सोवियत सुप्रीमो
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1991 का सोवियत सुप्रीमो
2. 'नारकीय' नौकरशाही
तानाशाही और केंद्रीकृत शासन के कारण सोवियत संघ में एक व्यापक नौकरशाही भी बनी, जिसका नियंत्रण समाज के हर कोने में बढ़ता चला गया.
यानी कि आपको हर चीज़ के लिए कागज़, स्टांप और पहचान की प्रक्रिया से गुज़रना होता.
ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर आर्ची ब्राउन कहते हैं, इस नौकरशाही ने सोवियत संघ को एक कठिन देश बना दिया था.
कार्ल मार्क्स
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कार्ल मार्क्स
3. नाकाम अर्थव्यवस्था
सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों से प्रेरित थी जो उत्पादन, बंटवारे और अदल-बदल के संसाधनों का समाज की संपत्ति होना मानते हैं. अर्थव्यवस्था चली पंचवर्षीय योजनाओं के आधार पर. सोवियत संघ की अधिकतर आबादी को उद्योग और कृषि कार्य में लगाया गया.
लेकिन इसके बावजूद अर्थव्यवस्था की तेज़ी में सोवियत संघ, अमरीका से पिछड़ता चला गया. और 1980 के दशक में सोवियत संघ की जीडीपी, अमरीका से आधी रह गई.
यूएसएसआर
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सोवियत संघ में शिक्षा दीक्षा बेहतरीन रही और लाखों लोग शिक्षित हुए.
4. बेहतरीन शिक्षा-दीक्षा
सोवियत संघ में शिक्षा दीक्षा बेहतरीन रही और लाखों लोग शिक्षित हुए. धीरे धीरे बाहर से जुड़ाव पर लगे प्रतिबंध कम हुए और लोगों को दुनिया के बारे में जानकारी बढ़ने लगी. धीरे-धीरे हुआ ये कि बेहतर ढंग से पढ़े लिखे लोगों के सोशल ग्रुप बनने लगे जो प्रभावशाली होते चले गए.