सोवियत संघ के विघटन के किन्हीं छ: परिणामों की व्याख्या कीजिण 1-6-6
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1. संसाधनों का दुरुपयोग
- सोवियत संघ ने अपनी महत्वपूर्ण संसाधनो का प्रयोग हथियारों के निर्माण पर किया । जिसका उसकी अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा और अंततः सोवियत अर्थव्यवस्था कमजोर हो गयी ।
- 2.सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी और नौकरशाही में भष्टाचार ।
- सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी और नौकरशाही के व्यापक अकुशलता और भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा को पार कर गया था ।
- 3 जनता में साम्यवादी सरकार आक्रोश और आंदोलन का भाव । सोवियत प्रणाली तानाशाही पर आधारित थी , जहां सरकार और पार्टी का दबदबा था । यहां सत्ता और शक्ति का केन्द्रीकरण था और लोगों की स्वतंत्रता पर व्यापक नियंत्रण और कठोरता था । ऐसे में लोग सोवियत प्रशासनिक तंत्र से नाराज थे । इसप्रकार आम जनता में सोवियत प्रशासनिक तंत्र के प्रति अलगाव और आंदोलन का भाव पैदा हुआ ।
- 4. सोवियत संघ का कृषि उत्पादन , औद्योगिक उत्पादन में पिछड़ जाना । सोवियत प्रशासकों ने हथियारों की होड़ , छोटे देशों के साथ सैन्य गठबंधन , अपने पिछलग्गू देशों पर धन की बर्बादी करने के कारण । मुख्य मुद्दों से भटक गया जिससे वह कृषि और औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान नहीं दे पाया और साथ साथ लोगों की सामान्य जरूरत को पूरा करने में असफल रहा
- 5. सोवियत संघ पर रुस का दबदबा / प्रभुत्व । सोवियत संघ में 15 गणराज्य थे लेकिन रुस उसमें पभुत्वशाली था । ऐसे में दुसरे गणराज्यों की जनता काफी दबाव महसूस करती थी । ऐसे में धिरे धिरे इन गणराज्यों में एक अलगाव का भाव पनपता गया और अंततः यह सोवियत संघ के पतन के रूप में निकल कर आया । यह भी कह सकते हैं कि सोवियत संघ अपने गणराज्यों को जोड़कर में असफल रहा ।
- 6. मिखाइल गोबचिव द्वारा सोवियत संघ में आर्थिक और राजनीतिक सुधार । 1985 में सोवियत महासचिव बने गोर्बाचेव ने सोवियत प्रणाली में राजनीतिक और आर्थिक सुधार की पहलकदमी किया और सोवियत व्यवस्था को और अधिक लोकतांत्रिक और पारदर्शी तथा खुला बनाने के लिए सुधारों की शुरुआत किया लेकिन यह अचानक और तत्काल सुधार सोवियत संघ को विघटन की ओर ले गया ।
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