Political Science, asked by jl8631564, 9 months ago

सोवियत संघ के विघटन के कारणों एवं विघटन के पश्चात विश्व राजनीति पर इसके परिणामों के विषय में लिखिए​

Answers

Answered by shrawan85356
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Answer:

एक शक्तिशाली संघ एक ही रात में नहीं टूटा. कई कारण थे सोवियत रूस के विघटन के. ... जाहिर था कि ऐसे जटिल और विविध देश पर

Answered by itzsecretagent
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Answer:

सोवियत संघ के विघटन का कोई एक मुख्य कारण नहीं था। कई कारण थे जिनमें से कुछ का जिक्र मैंने निचे किया है।

  • मिखाइल गोर्बाचोव १९८५ में जब सोवियत संघ कम्युनिस्ट पार्टी के जेनेरल सेक्रेटरी नियुक्त हुए तो उन्होंने यह सोचा कि सोवियत संघ की आर्थिक व्यवस्था ख़राब है और वह इसे सब से पहले ठीक करेंगे। पर शीघ्र ही उन्होंने यह एहसास किया कि आर्थिक व्यवस्था सुधारने के लिए उन्हें सोवियत संघ की राजनैतिक व्यवस्था में पहले सुधार लाना पड़ेगा। जब उन्होंने राजनैतिक व्यवस्था में सुधार लाना शुरू किया तो सोवियत संघ के विभिन्न गणराज्यों को यह अहसास हुआ कि उन्हें ज्यादा राजनैतिक स्वतंत्रता मिल सकती है और वहाँ की जनता इसके लिए प्रयास करने लगी। धीरे धीरे एक के बाद दूसरा गणराज्य पूरी स्वतंत्रता की मांग भी करने लगा।

  • गोर्बाचोव ने यह प्रयत्न किया कि कम्युनिस्ट पार्टी और राज्य को अलग किया जाए और कम्युनिस्ट पार्टी को और डेमोक्रेटिक बनाया जाए। इस प्रयत्न से सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी ही कमजोर होने लगी।

  • गोर्बाचोव और येलत्सिन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बन गए थे। जब येलत्सिन ने गोर्बाचोव के विरुद्ध में कुछ कहा तो गोर्बाचोव ने येल्तसिन को मॉस्को कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव के पद से १९८७ में निकल दिया था। लेकिन जून १९९१ में येल्तसिन, गोर्बाचोव के प्रतिनिधि को हरा कर रूसी सोवियत गणराज्य के राष्ट्रपति बन गए। येलत्सिन ने इसके उपरांत यह घोषणा कर दी की रूस एक स्वतन्त्र देश है।

  • अगस्त १९९१ में गोर्बाचोव ने एक नई संघ संधि का प्रस्ताव रखा जिससे सोवियत संघ एक स्वतंत्र गणराज्य के संघ में परिवर्तित हो सकता था जिसमें गणराज्य स्वतन्त्र होते लेकिन उनका राष्ट्रपति और उनकी विदेश नीति और सेना एक होती। कई गणराज्य इस प्रस्ताव से सहमत थे लेकिन जब इस प्रस्ताव पर भी अड़चने आने लगीं तो उन्हें लगा की स्वतन्त्र होना ही इससे बेहतर है।

  • जब यूक्रेन जैसे गणराज्यों में रेफेरेंडम हुआ तो लोगों ने बड़ी संख्याओं में स्वत्रन्त्र होने की सहमति दिखाई।

  • जब विभिन्न गणराज्य रूस से जुड़ कर सोवियत संघ का हिस्सा बने थे तो लेनिन ने उन्हें इस बात की छूट दी थी कि वह जब चाहें तब स्वतन्त्र हो सकते हैं।

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