History, asked by Bharatsinh3719, 1 year ago

सोवियत संघ का विघटन कैसे हुआ?

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Answered by james06
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पीटर, द ग्रेट, के समय से जो सोवियत रूस का साम्राज्य अस्तित्व में रहा था, वह 1991 में एक झटके से टूट कर बिखर गया। इसका प्रमुख कारण था समाजवादी मॉडल में व्यवधान आना, जो निम्नलिखित है-

समाजवादी आर्थिक मॉडल, पूंजीवादी आर्थिक मॉडल से पृथक था। यह बाजार की शक्तियों से जुड़ा हुआ नहीं था। बल्कि इसके तहत राज्य के नेतृत्व में पूंजी, कच्चे माल, ऊर्जा आदि का संग्रह कर निवेश किया जाता और फिर राज्य के नेतृत्व में ही उत्पादित वस्तुओं का वितरण होता। 1960 के दशक तक यह मॉडल सफलतापूर्वक काम करता रहा था। परंतु 1960 के दशक में इस मॉडल में व्यवधान आ गया।

समाजवादी औद्योगिकरण पूंजीगत एवं भारी उद्योगों पर आधारित था, इसलिए इसमें आवश्यक उपभोक्ता संबंधी सामग्रियों की कमी बनी रही। इस कारण जन असंतोष हुआ।

1929–30 की आर्थिक मंदी के समय अगर सोवियत रूस की अर्थव्यवस्था सफल रही थी तो इसका एक प्रमुख कारण था वैश्विक अर्थव्यवस्था से कटा होना। परंतु 1970 के दशक में यह पूरी तरह विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़ा था। इसलिए यह विश्व अर्थव्यवस्था में आने वाले उतार-चढ़ाव का शिकार हो गया।

1970 के दशक के तेल संकट के पश्चात अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पाद काले हीरो में बदल गए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कमाने के लिए सोवियत रूस पेट्रोलियम उत्पादों का बड़ा निर्यातक बन गया क्योंकि उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा की प्राप्ति आसानी से होने लगी। इसलिए तकनीकी विकास से उसका ध्यान हट गया और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में वह कच्चे माल का निर्यातक और तैयार माल का आयातक बनकर रह गया।

शीत युद्ध के कारण सोवियत रूस की अर्थव्यवस्था पर निरंतर दबाव बना रहा। इसका कारण अपने मित्र देशों को हथियारों और पूंजी की आपूर्ति करना रहा।

लेनिन के अंतर्गत सोवियत रूस में बोल्शेविक सरकार की स्थापना हुई और एक पार्टी का शासन स्थापित हो गया। स्टालिन के अंतर्गत एक और बड़ा बदलाव आया। एक पार्टी का शासन एक व्यक्ति के शासन में बदल गया। सोवियत रूस में विरोधियों का उग्र दमन किया गया। इससे लोगों में असंतोष हुआ।

सोवियत रूस का बहुनस्लीय एवं बहुसांस्कृतिक स्वरूप था तथा सोवियत संविधान में भी राज्य को पृथक होने के औपचारिक सिद्धांत को स्वीकार किया गया था।

राष्ट्रपति गोर्बाचोव की नीति सोवियत रूस के लिए विघटनकारी सिद्ध हुई। उसने पेरेस्ट्रोइका अर्थात आर्थिक पुनर्रचना की नीति के तहत आर्थिक क्षेत्र में तीव्र बदलाव किये। वहीं ग्लास्नोस्ट यानी वैचारिक खुलापन की नीति के तहत लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी दे दी। इस कारण सोवियत समाज में असंतुलन आ गया।

सोवियत रूस में उदारवादियों ने परंपरावादियों के विरुद्ध अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सोची-समझी योजना के तहत अल्पसंख्यक समूह को भड़काया।

विकास का असंतुलन जिससे रूस के लोगो को लगता था कि उनके टैक्स के पैसे दूसरे पिछड़े क्षेत्रो में जा रहे और पिछड़े क्षेत्र वालो को लगता था उनका ठीक से विकास नही हुआ , मॉस्को जिस पूंजीवाद के विरूद्ध बाते करता था असल के वह खुद ही पूंजीपतियों का गढ़ बन गया था। ( जी द्वारा सुझाया गया)

इस तरह विघटन करने वाली सभी परिस्थितियों ने मिलकर 1991 में सोवियत संघ को तोड़ दिया और विश्व कुछ नए देशों के जन्म का साक्षी बना। इस विघटन के कारण लगभग आधी सदी तक चले शीत युद्ध का भी अंत हो गया।

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