स्वच्छ और सुरक्षित दिवाली कक्षा 1
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दिवाली या दीपावली हिंदुस्तान में मनाया जाने वाला एक प्राचीन पर्व है जो कि हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, इसके पीछे पौराणिक मान्यता है कि दीपावली के दिन हिंदुओं के आराध्य अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चैदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे। इससे पूरा अयोध्या अपने राजा के आगमन से हर्षित और उल्लसित था। अयोध्या के लोगों ने इसी खुशी में श्री राम के स्वागत में घी के दीप जलाए। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों के उजाले से जगमगा उठी। मान्यता है कि तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व दिवाली के रूप में हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। दीपावली का प्रकाश बुराई पर अच्छाई की जीत और भगवान राम के जीवन में मौजूद महान आदर्शों और नैतिकता में हमारे विश्वास का प्रतीक है।
दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। लोग कई दिनों पहले से ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ कर देते हैं, और सब अपने घरों, प्रतिष्ठानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। दिवाली के आते ही घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग अपने घरों और दुकानों को साफ सुथरा कर सजाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि लक्ष्मी जी उसी घर में आती है यहाँ साफ-सफाई और स्वच्छता होती है। पुराणों में बताया गया है कि दीपावली के दिन ही लक्ष्मी ने अपने पति के रूप में भगवान् विष्णु को चुना और फिर उनसे विवाह किया। इसलिए घर-घर में दीपावली कि रात को लक्ष्मी जी का पूजन होता है। दिवाली के दिन लक्ष्मी जी के साथ-साथ भक्त की हर बाधा को हरने वाले गणेश जी, ज्ञान की देवी सरस्वती माँ, और धन के प्रबंधक कुबेर की भी पूजा होती है।