स्वच्छता -जीवन का अभिन्न अंग विषय पर कविता
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स्वच्छता-जीवन का अभिन्न अंग विषय पर कविता...
स्वच्छता है, जीवन का वरदान,
स्वच्छता का हरदम करो सम्मान,
जीवन में करो इसका पालन,
स्वच्छता से ही बनता है जीवन।
तन हो स्वच्छ, मन हो स्वच्छ
स्वच्छ हों आचार और विचार,
जो स्वच्छता को अपना लिया,
बन जाये ये सुखी संसार।
स्वच्छता है सफलता का द्वार,
सुखी जीवन का मूल-आधार,
यह हमारे जीवन है अभिन्न अंग,
इसको रखो सदा अपने संग।
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