स्वच्छता के संदर्भ में गांधीजी के विचारों की व्याख्या कीजिये
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गांधीजी ने अपने बचपन में ही भारतीयों में स्वच्छता के प्रति उदासीनता की कमी को महसूस कर लिया था उन्होंने किसी भी सभ्य और विकसित मानव समाज के लिए स्वच्छता के उच्च मानदंड की आवश्यकता को समझा। उनमें यह समझ पश्चिमी समाज में उनके पारंपरिक मेलजोल और अनुभव से विकसित हुई। अपने दक्षिण अफ्रीका के दिनों से लेकर भारत तक वह अपने पूरे जीवन काल में निरंतर बिना थके स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करते रहे। गांधीजी के लिए स्वच्छता एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा था। 1895 में जब ब्रिटिश सरकार ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों और एशियाई व्यापारियों से उनके स्थानों को गंदा रखने के आधार पर भेदभाव किया था, तब से लेकर अपनी हत्या के एक दिन पहले 20 जनवरी 1948 तक गांधीजी लगातार सफाई रखने पर जोर देते रहे।
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sawchta
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गुजरात विद्यापीठ के बेहतरीन कार्यकर्ताओं और शिक्षकों में से एक ने ग्राम और ब्लॉक स्तर के सरकारी अधिकारियों के रवैये को लेकर पिछले दिनों चिंता जाहिर की थी। इन अधिकारियों को व्यक्तिगत शौचालय निर्माण और उसके लिए धन की व्यवस्था के बारे में प्रस्ताव संभावित लाभार्थियों द्वारा दिए गए थे। लेकिन उन्होंने इस बात को ही नकार दिया कि उन्हें ऐसे प्रस्ताव मिले हैं।