स्वच्छता में छात्र का योगदान तथा भविष्य में स्वच्छता के प्रति उसकी वचनबध्दता
letter to bapu
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Answer:
आदरणीय बापू...
प्रणाम ,
बापू, मैं भारत का एक छात्र हूँ। मैं आपके आदर्शों से प्रभावित रहा हूँ, और मैंने आपके आदर्शों को अपने जीवन में ढालने की कोशिश की है। मैं जानता हूँ, आपको साफ-सफाई बहुत पसंद थी और आपने जीवन भर स्वच्छता का पाठ पढ़ाया। हम भारतीय आपके आदर्शों पर पूरी तरह चल नही पाये। मैं अपने देश में चारों तरफ गंदगी देखता हूँ तो मुझे दुख होता है, और अफसोस होता है कि आप स्वच्छता से रहने का जो संदेश देकर गये थे उसे हमने पूरी तरह भुला दिया।
हमने अपने देश को बुरी तरह गंदा कर रखा है। जिधर देखो गंदगी नजर आती है। मैंने सुना है कि विदेशों में साफ-सफाई का बड़ा ध्यान रखा जाता है। मैं पूरी कोशिश करता हूँ कि मैं अपने आसपास साफ-सफाई रखूं। मैं रोज लोगों को समझाता भी हूँ कि हमें हमेशा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिये। स्वच्छ तन होगा, स्वच्छ वातावरण होगा, तो स्वच्छ मन होगा। यही आपका भी संदेश था।
आपकी इसी वर्ष 150वीं जयंती है और इस 150वीं जयंती पर मैं आपको श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहता हूँ, ये प्रण लेकर कि मैं सबके साथ मिलकर अपने भारत को एकदम स्वच्छ और साफ-सुथरा बनायेंगे और गंदगी को मिटा कर छोड़ेंगे। मै रोज लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करूंगा और स्वच्छ भारत अभियान में अपना पूरा सहयोग दूंगा।
आपकी 150वीं जंयती पर आपको इससे अच्छी श्रद्धांजलि और नही हो सकती।
एक छात्र|
स्वच्छता को लेकर बापू को पत्र |
Explanation:
सम्माननिय बापुजी ,
मेँ भारत का एक आम छात्र बोल रहा हूँ, जोकी देश की स्वच्छता को लेकर थोड़ा चिंतित हैं | मैंने बचपन से ही आपकी जीवनी को कई बार पढ़ा हैं | मैंने सीखा है की समयनिष्ठ और साफ-सुतुरा रहना जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण हैं |इससे आपका मन हमेशा खुशी और संतोष से भरी हुई होती हैं |
परंतु आज मेँ जब मेरे देश को देखता हूँ तो दिल में थोड़ा खेद अवश्य ही होता हैं क्योंकि आज के समय में आपके द्वारा दिये गए आदर्शों को ज़्यादातर लोग नजरंदाज कर रहें हैं | हर तरह कूडे की ढेर लगा हुआ हैं | साफ करना तो दूर साफ करने के बारे में बहुत ही कम लोग सोचते हैं |
तो, ऐसा ही चलता रहा हैं तो पता नहीं हमारे आने वाले पीढ़ी इस देश को कैसे साफ रख पाएगी |
आपसे प्रभावित एक छात्र ,
विनोद |