Hindi, asked by injarapuvsk, 4 months ago

स्वच्छता और स्वास्थ्य के बारे में बताओ
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Answered by Anonymous
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स्वच्छता का मानवाधिकार (UN, 2010)

स्वच्छता का मानवाधिकार सभी को स्वच्छता सेवाओं के अधिकार की प्राप्ति का प्रावधान करता है, जो गोपनीयता एवं गरिमा के साथ-साथ शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिये सुलभ एवं सस्ती, सुरक्षित, स्वच्छ, सामाजिक एवं सांस्कृतिक तौर पर स्वीकार्य सेवाएँ सुनिश्चित करता है। मानव अधिकार सिद्धांतों को सभी मानवाधिकार पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के संदर्भ में लागू किया जाना चाहिये, जिसमें स्वच्छता का अधिकार भी शामिल है:

गैर-भेदभाव एवं समानता: सभी लोगों की बिना भेदभाव के (सबसे कमज़ोर तथा वंचित व्यक्तियों एवं समूहों को प्राथमिकता देते हुए) पर्याप्त स्वच्छता सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित की जानी चाहिये। सहभागिता: हर किसी को भेदभाव के बिना स्वच्छता सेवाओं के उपयोग से संबंधित निर्णयों में भाग लेने के लिये सक्षम बनाया जाना चाहिये। सूचना का अधिकार: प्रासंगिक भाषाओं और मीडिया द्वारा नियोजित उपयुक्त कार्यक्रमों और परियोजनाओं के माध्यम से उन लोगों तक जो इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे, स्वच्छता संबंधी जानकारी स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराई जानी चाहिये। जवाबदेही (निगरानी एवं न्याय तक पहुँच): स्वच्छता सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने में किसी भी प्रकार की विफलता के लिये राज्य सरकार जवाबदेह है। राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता सेवाओं तक पहुँच (और पहुँच की कमी) की निगरानी की जानी चाहिये। स्थिरता: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि स्वच्छता सेवाओं तक सभी की पहुँच लंबी अवधि तक बनी रहे साथ ही सेवाओं की उपलब्धता में सभी समुदायों की आर्थिक स्थिति (ऐसे वर्गों को शामिल करते हुए जो यह खर्च उठाने में सक्षम नही हैं) और शारीरिक स्थिति (शारीरिक अक्षमता इत्यादि) को भी ध्यान में रखा जाना चाहिये।

स्वच्छता के मानवाधिकार को निम्नलिखित मानक तत्त्वों द्वारा परिभाषित किया गया है:

उपलब्धता: सभी व्यक्तियों के लिये पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिये। अभिगम्यता या सुलभता: घरों, स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक संस्थानों, सार्वजनिक संस्थानों एवं स्थलों तथा कार्यस्थलों के भीतर या आसपास के क्षेत्र में सभी के लिये स्वच्छता सेवाएँ सुलभ होनी चाहिये। इन सुविधाओं का लाभ उठाने की प्रक्रिया अथवा इन सेवाओं तक पहुँच के दौरान शारीरिक सुरक्षा का खतरा नहीं होना चाहिये। गुणवत्ता: स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग स्वच्छ तथा तकनीकी रूप से सुरक्षित होना चाहिये। साथ ही सफाई एवं हाथ धोने के लिये पानी तक पहुँच होना आवश्यक है। सामर्थ्यता: पानी, भोजन, आवास एवं स्वास्थ्य देखभाल जैसे मानवाधिकारों द्वारा गारंटीकृत अन्य आवश्यक आवश्यकताओं से समझौता किये बिना, स्वच्छता एवं सेवाओं को किफायती दाम में उपलब्ध कराया जाना चाहिये। स्वीकार्यता: सेवाएँ, विशेष रूप से स्वच्छता सुविधाओं को सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य बनाया जाना चाहिये। इसका कारण यह है कि निजता एवं गरिमा को सुनिश्चित करने के लिये इसके निर्माण में अक्सर लिंग-विशिष्ट सुविधाओं की आवश्यकता होती है।

सभी मानवाधिकार आपस में जुड़े हुए हैं और पारस्परिक रूप से मज़बूत हैं तथा कोई भी मानवाधिकार दूसरे मानवाधिकार पर वरीयता नहीं लेता है।

सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals-SDGs) एवं स्वच्छता (UN, 2015)

स्वच्छ जल एवं स्वच्छता हेतु लक्ष्य क्रमांक 6 (विशेष रूप से स्वच्छता तथा पानी की गुणवत्ता पर क्रमशः लक्ष्य क्रमांक 6.2 और 6.3) तथा अच्छे स्वास्थ्य एवं कल्याण हेतु लक्ष्य क्रमांक 3, विशेष रूप से स्वच्छता के लिये प्रासंगिक हैं।

कई अन्य लक्ष्य जिनमें गरीबी (विशेष रूप से बुनियादी सेवाओं तक पहुँच हेतु लक्ष्य क्रमांक 1.4), पोषण, शिक्षा, लैंगिक समानता, आर्थिक विकास, असमानताओं में कमी तथा स्थायी शहर शामिल हैं को स्वच्छता से बल मिलता है या उसकी प्राप्ति के लिये आवश्यक है।

SDGs ने राज्यों के लिये कार्यान्वयन के सिद्धांतों को भी निर्धारित किया है, जिसमें वित्तपोषण में वृद्धि करना, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं की क्षमता को मज़बूत करना, जोखिम में कमी के लिये रणनीतियों का समावेशन करना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का निर्माण तथा स्थानीय समुदायों की भागीदारी शामिल है।

लक्ष्य क्रमांक 1 सूचनाओं के प्रवाह में सुधार एवं निगरानी क्षमताओं तथा आम-सहमति को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देता है, ताकि यह पहचानना संभव हो सके कि कौन से समूह पीछे छूट गए है।

Answered by bamanedhanashree123
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Answer:

हमारे भारतीय संस्कारों में सदियों से एक मान्यता है कि जहाँ साफ सफाई होती है वही पर लक्ष्मी का वास होता है। लेकिन यह बात भी सच है कि साफ सफाई का हमारे स्वास्थ्य से भी घनिष्ठ संबंध है। तभी तो जब हम गंदगी के संपर्क में आते है तो उसका सीधा कुप्रभाव हमारे स्वास्थ्य (health) पर पड़ता है। इसलिए अपनी और अपने घर की साफ सफाई (obscure cleaning) के साथ – साथ हमें अपने आस – पास की साफ सफाई पर भी खास ध्यान देना चाहिए।

आजकल अस्वच्छता के कारण न जाने कितनी बीमारी भारत में फैल रही है जिसका मूल कारण हम इंसान हैं। कहने को तो हम साफ सफाई करने के डींगे बहुत हाँकते है लेकिन अपने आस पास की स्वच्छता पर ही ध्यान नहीं देते हैं? रोजमर्रा के जीवन में ऊपरी सफाई के अलावा जब साफ – सफाई (hygine) की बात आती है तो ज्यादातर लोग toilet cleaner , कूड़े के डिब्बों और bathroom की फर्श के बारे में सोचते है। जबकि अच्छे स्वास्थ्य के लिए सभी प्रकार की स्वच्छता बहुत जरुरी होती है।

अत: हमारी सफाई की list में घर, दफ्तर या फिर कोई भी public place के कुछ खास ऐसे ठिकाने भी शामिल होने चाहिए जहां कचड़े और उनमें पनप रहें कीटाणुओं (germs) की अधिकता हो सकती है। वरना इन कीटाणुओं से पग – पग पर हमें जो शारीरिक, मानसिक तौर पर कष्ट होगा, जो असुविधा होगी, उस कष्ट को किसी भी हालत में झेल पाना मुश्किल तो होगा ही, हमारी जान भी जा सकती है।

कुछ दिन पहले ही मैंने newspaper में पढ़ा था कि जैसे ही कोई खाने वाली चीज हमारे हाथों से छूट कर नीचे गिरती है तुरंत उस पर करोडो कीटाणु (germs) चिपक जाते है। इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि जो जगह हमें साफ़ दिखाई पड़ती है वहां भी कीटाणु (germs) हो सकते है। यह भले ही हमें दिखाई न दें लेकिन आरोग्य को नष्ट करने के जितने भी कारण है, उनमे गंदगी एक प्रमुख कारण है।

गांधीजी ने भी कहा है – “हर आदमी को अपनी साफ़ – सफाई खुद करनी चाहिए क्योंकि साफ सफाई तो देश भक्ति के समान है। अगर आप ईश्वर का आशीर्वाद पाने चाहते है तो मन की पवित्रता के साथ – साथ शरीर की स्वच्छता भी अनिवार्य है।” एक स्वच्छ शरीर अस्वच्छ शहर में वास नहीं कर सकता इसी सोच के साथ हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत के निर्माण के लिए स्वच्छता अभियान शुरु किया था।

लेकिन आज इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि देश के 60 फीसदी से ज्यादा लोगों के खुले में शौच की बुरी आदत के कारण कई जानलेवा बीमारियाँ पनप रही हैं और देश में बाल कुपोषण की समस्या भयावह बनी हुई है। गंदगी समाज और खुद अपने आप दोनों को लिए हानिकारक होती है। इसलिए जरुरी है आप अपने दैनिक जीवन के उन क्षेत्रों के बारे में जाने जहां आप रोज जाते है और जहाँ पर उपस्थित रहने वाले कीटाणु (germs) आप को और आपके पर्यावरण दोनों को बीमार कर करते है। अत: इससे बचने में आपकी मदद करने के लिए, स्वस्छता के लिए आपको प्रोत्साहित करने के लिए, हम कुछ ऐसे उपाय (Tips) बताने जा रहे हैं. जोकि स्वच्छता के लिए प्रेरित करेंगे।

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