स्वचालित युक्ति की व्याख्या कीजिए जिसके द्वारा स्वर्णमान के अंतर्गत अदायगी-संतुलन प्राप्त किया जाता था।
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स्वचालित युक्ति
स्वर्णमान- लगभग 1870 -1914 में प्रथम विश्व युद्ध के आरम्भ होने तक स्वर्णमान ही प्रचलित था|
1752 में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डेविड हुयुम ने इसकी व्याख्या की कि किस प्रकार स्वर्णमान के अंतर्गत स्वचालित युक्ति अदायगी -संतुलन प्राप्त किया जाता था |
स्थिर विनिमय दर व्यवस्था का सार स्वर्णमान था, जिसमे प्रत्येक सहभागी देश एक निश्चित कीमत पर अपने देश की मुद्रा को स्वतंत्र रूप से स्वर्ण में परावर्तित करने के लिए प्रतिबध्द रहता था | स्वर्णमान की स्थिति में सारे देशों की विनिमय दर स्थायी थी| और अनुमान लगाया गया कि ज्यादा आयात करने पर वह देश अपने सोने को समाप्त कर देगा | डेविड हुयुम ने इस मत का खंडन किया कि यदि सोने के भंडार में कमी हुई तो सभी प्रकार की कीमते और लागत भी अनुपातिक रूप से कम होंगी , तदनुसार आयात घटेगा और निर्यात बढ़ेगा | आमतौर पर सोने की क्षति उठाकर अदायगी-संतुलन में सुधार लाना होता है | सापेक्षिक कीमत पर जब तक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में साम्य की पुनर्स्थापना नहीं होती ,तब तक प्रतिकूल व्यापार संतुलन वाले देश के अदायगी-संतुलन को अनुकूल व्यापार संतुलन वाले देश के अदायगी संतुलन को समकक्ष लाता है | और सोने का प्रवाह नहीं होता है और आयात निर्यात का संतुलन बना रहता है |
बिना किसी राज्य की कार्यवाही की आवश्यकता के स्थायी तथा स्वयं सुधार संतुलन बना रहता है | इस प्रकार स्वचालित समय तंत्र के माध्यम से स्थिर विनिमय दर को कायम रखा जाता था |
स्वर्णमान के अंतर्गत किस प्रकार स्वचालित युक्ति से अदायगी संतुलन प्राप्त किया जा सकता है इसकी व्याख्या सन 1752 में डेविड ह्यूम नामक एक अर्थशास्त्री ने दी।
Explanation:
- स्वर्णमान के अंतर्गत किस प्रकार स्वचालित युक्ति से अदायगी संतुलन प्राप्त किया जा सकता है इसकी व्याख्या सन 1752 में डेविड ह्यूम नामक एक अर्थशास्त्री ने दी।
- उनका मानना था कि यदि सोने के भंडार में कमी हुई तो सभी तरह की कीमतें और लागत भी उसी अनुपात में कम होती हैं और इसके फलस्वरूप घरेलू वस्तुएं विदेशी वस्तुओं की तुलना में सस्ती हो जाती है।
- जिसका परिणाम आयात और निर्यात बढ़ने में सामने आएगा।
- जिस देश में घरेलू अर्थव्यवस्था आयात कर रही हो और सोने में उसका भुगतान दे रही हो तो उसकी कीमतों और लागत में वृद्धि होगी।
- इस प्रकार उसका महंगा निर्यात काम हो जाएगा और घरेलू अर्थव्यवस्था से आयात का स्तर बढ़ जाएगा।
- इस प्रकार धातुओं की कीमत तंत्र द्वारा सोने को हुई क्षति को उठा कर अदायगी संतुलन में सुधर करना पड़ता है|
- लेकिन जब तक अंतरराष्ट्रीय व्यापार में साम्य में की पुनर्स्थापना नहीं हो जाती तब से व्यापार संतुलन मारे देश की अदायगी संतुलन को अनुकूल व्यापार संतुलन वाले देशों के अंतरण को समक्ष लाता है।
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