Hindi, asked by flowrencemassey, 3 months ago

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'वह तोड़ती पत्थर' कविता में समाज के स्वरूप का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया गया है। क्या यह
आज के समाज का यथार्थ सत्य है? अपना मत व्यक्त कीजिए।
(पाठ-13 देखें)​


flowrencemassey: plz this question

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Answered by shishir303
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'वह तोड़ती पत्थर' कविता में समाज के स्वरूप का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया गया है। क्या यह  आज के समाज का यथार्थ सत्य है? अपना मत व्यक्त कीजिए।

‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता में श्रमिक वर्ग की दयनीय स्थिति का सजीव चित्रण किया गया है। इस कविता में जिस श्रमिक वर्ग की दयनीय स्थिति का सजीव चित्रण किया है, वह बिल्कुल यथार्थ है, और हमारे समाज का कटु सत्य है।

कवि के अनुसार समाज में दो तरह के लोग पाए जाते हैं, शोषक और शापित। शोषक यानि जो निर्धन और निर्बल लोगों का शोषण करते हैं और वह अपना पूरा जीवन दूसरों का शोषण करने में गुजार देते हैं। ऐसे शोषक लोग बेहद प्रभावशाली और धनाढ्य लोग होते हैं।  जबकि शोषित वर्ग में मजदूर किसान निर्धन लोग आते हैं, जिन्हें अपने जीवन में नित्य प्रति अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हर तरह की आपदा विपदा भी इन्हीं लोगों पर सबसे पहले आती है। ये लोग अपने जीवन में अनेक कष्ट और दुख झेलते है, फिर भी यह लोग अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहते हैं और अपने कर्म में निरंतर मगन रहते हैं।

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