'सेवक बन बैठा अपने ही घर में उक्ति है:
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जो सत्य की तलाश करता है, उसे सुंदरता मिलेगी। वह जो सौंदर्य चाहता है, वह घमंड पा लेगा। जो आदेश चाहता है, उसे संतुष्टि मिलेगी। वह जो संतुष्टि चाहता है, वह निराश हो जाएगा। जो अपने आप को अपने साथी का सेवक समझता है, उसे आत्म-अभिव्यक्ति का आनंद मिलेगा। वह जो आत्म-अभिव्यक्ति चाहता है वह अहंकार के गड्ढे में गिर जाएगा।
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