‛सॉवले सपनों कि याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
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जाबिर हुसैन द्वारा रचित पाठ 'सांवले सपनों की याद' प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली से संबंधित संस्मरण है। इसमें लेखक ने सलीम अली की मृत्यु से उत्पन्न अपनी भावनाओं को दर्शाया है। वह उस वन पक्षी के समान प्रकृति में विलीन होने जा रहे हैं जो अपने जीवन का अंतिम गीत गाकर सदा के लिए खामोश हो गया हो।
उत्तर :-
सांवले सपनों की याद पाठ में लेखक ने सुप्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली की मृत्यु पर अपने विचार व्यक्त किया है। लेखक को लगता है कि सलीम अली की यायावरी से परिचित लोग अभी भी यही सोच रहे हैं कि वे आज भी पक्षियों के सुराग में निकले हैं और अभी गले में दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएंगे। लेखक की आंखें भी नम है और वह सोचता है कि’ सलीम अली, तुम लौटोगे ना।’ लेखक का सपना तब टूटता है जब वह देखता है कि सलीम अली उस हुजूम में सबसे आगे हैं जो मौत की खामोशवादी की ओर अग्रसर हो रहा है जहां जाकर वह प्रकृति में मिल जाएगा । सलीम अली को ले जाने वाले अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे वापस नहीं ला सकते अब तो बस उसकी यादें ही बची है। इस प्रकार इस पाठ का शीर्षक ‘सांवले सपनों की याद’ सार्थक है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।