स्वम
समाज के रक्षका विषय पर
विचार likhey
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Explanation:
वर्त्तमान समय में सुरक्षित रहना हर वर्ग एवं जाति के लिए एक चुनौती सा बन गया है, यदि हमारे साथ कोई भी ऐसी घटना हो जाती है जिसका संबंध हमारी सुरक्षा से होता है तो इसके लिए हम कभी समाज को- तो कभी सरकार को ज़िम्मेवार ठहराते हैं, और ये सिलसिला यूँ ही चलता रहता है, अब प्रश्न यह उठता है की हमारी स्वयं की सुरक्षा का दायित्व किसका है? समाज, सरकार या स्वयं हमारा, इसकी विवेचना करने की आवश्यकता है।
स्वयं की सुरक्षा करना मनुष्य के लिए हमेशा से कठिन कार्य रहा है चाहे हम आज की बात करे या बीते कल की, परन्तु आज के मनुष्य ने इस कठिन कार्य को आसान बना दिया है, वर्तमान समय में महिलाओं की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है लोक सभा से लेकर राज्य सभा हर जगहं इसके लिए बहस होती है लेकिन दूसरी तरफ आजकल के माता-पिता अपने बच्चो को खास कर बेटियों को ऐसे बहुत से स्वरक्षण तकनीकियों का प्रशिक्षण करवा रहे हैं जिससे वो अपनी रक्षा स्वयं कर सके क्यूंकि यदि कभी भी वे किसी मुसीबत में फस जाएँ तो अपनी रक्षा स्वयं कर सके।
अपनी सुरक्षा आपके अपने हाथ होती है, अनूमान ये देखा गया है की जितनी भी सड़क दुर्घटनाये होती हैं, उसके लिए ज्यादातर चालक ही जिम्मेवार होता है, या तो उसने यातायात के नियमो का पालन नहीं किया या फिर वाहन चलाते वक़्त सावधानी नहीं बरती, ऐसा कर के वो ना केवल अपना ही अपितु दूसरों का जीवन भी मुश्किल में डाल देता है।
अंततः मैं यही कहना चाहूंगी कि यदि हर नागरिक यह बात मानले कि उसकी स्वयं की सुरक्षा उसकी स्वयं की जिम्मेवारी है तो ऐसा कर के ना केवल वह स्वयं को बहुत सी दुर्घटनाओं से बचा सकता है अपितु सरकार एवं समाज के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल सकता है, जिसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य मानव समाज की सुरक्षा है