स्वमत लिखो।
१. 'समझदारी से काम करना
लाभदायक होता है। इस कथन पर
अपने विचार लिखिए।
Answers
Explanation:
समझदारी मनुष्य का सर्वोपरि गुण है। समझदारी सौभाग्य का प्रवेश द्वार है, तो बेवकूफी दुर्भाग्य का। समझदारी का अर्थ है -- तात्कालिक आकर्षण में संयम बरतना , दूर की सोचना , किसी काम की प्रतिक्रिया और परिणति का रूप समझना तथा स्थिति के अनुकूल निर्णय और प्रयास करना।समझदारी दैवी अनुदान नहीं है। अपितु सतर्क और विवेल शील व्यक्ति निरंतर अभ्यास करके इस गुण को स्थायी बनाते हैं। और अपने व्यक्तित्व को निखारते हैं। समझदारी के साथ दूरदर्शिता और विवेकशीलता अनिवार्य रूप से जुड़ी रहती है। समझदार व्यक्ति संयम , श्रम, मनोयोग और अनुशासन को उज्ज्वल भविष्य की नींव मानते हैं।
तात्कालिक लाभ पर कम ध्यान देते हैं। तथा दूरगामी सत्परिणामों पर विचार करते हैं। इसके विपरीत समझदारी से काम न लेने वाले व्यक्ति तत्काल के ही लाभ को देखते हैं। तथा वे सोचते ही नहीं कि भविष्य में इसका क्या परिणाम होगा ? जब उनकी जल्दबाजी, अदूरदर्शिता का परिणाम सामने आता है, तो उन्हें दुःख ही दुःख सहन करना पड़ता है। उतावले , अस्थिर, आलसी और प्रमादी समस्त सुविधाएँ होते हुवे भी धूर्तों द्वारा ठगे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति ठोकरें खाते , निरर्थक श्रम करते, कष्ट सहते , उपहास एवं तिरस्कार पाते देखे जा सकते हैं।
समय रहते यदि व्यक्ति समझदारी से काम नहीं लेता तो फिर हाथ मलने और अपनी भूल पर सिर धुनकर पछताने के अतिरिक्त कुछ शेष नहीं बचता। जैसे मछली थोड़े से आटे के लिए प्राण गवां देती है, वैसे ही नासमझ व्यक्ति थोड़े- से प्रलोभन के लोभ में अपना अमूल्य जीवन नष्ट कर देते हैं।यदि व्यक्ति थोड़ी सी समझदारी से काम ले तो वह इन्द्रिय-संयम , समय-संयम और अर्थ-संयम अपनाते हुवे उन दुर्गुणों को सरलता पूर्वक दूर कर सकता है। ये सभी उसकी जीवन सम्पदा को नष्ट करते हैं। समझदार फूंक-फूंक कर कदम रखते हैं। वे गुण-दोष पर विचार करते हैं। अनुचित के लिए दृढ़ता पूर्वक नहीं बोलते हैं और उचित को आत्मिक विकास के लिए अपने निश्चय के आधार पर अपनाते हैं। संकल्प और साहस के साथ निश्चिन्त होकर उद्देश्य-पथ पर चलते हैं और लक्ष्य पर पहुंच कर ही विश्राम करते हैं। इस प्रकार समझदारी से हम उचित निर्णय लेने में समर्थ हो सकते हैं।