स्वमत में चित्रकार बनना चाहता हु
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यदि मैं चित्रकार होता
ये प्रकृति बहुत ही खुबसूरत है I कहीं वन उपवन है तो कहीं दूर तक फैली अमराई I कहीं झरने की कल -कल छल-छल है I तो कहीं नदियों के सुर में संगीत ,कहीं सागर की गगन चुम्बी उछाल है तो कहीं आकाश तक स्पर्श करता समुद्र Iकहीं कोयल कूकती है तो कहीं मोर नृत्य करते हैं I कहीं तरह तरह के फूल खिले हैं तो कहीं अनेक तरह के फल क्या आप कह सकते हैं ! कि ये इतना बड़ा चित्रकार कौन हो सकता है ? इस चित्रकार को न आपने देखा न मैंने देखा उनकी कलाएं देख रहा हूँ I और सोचता हूँ जिसने इतने सुन्दर चित्र बनाये काश ! की उन्ही की नक़ल करके मैं भी इसी प्रकार चित्र बनाऊIयूँ ही समंदर पर्वत फूल कलियाँ नदियाँ झरने चिड़ियाँ छोटे छोटे खिलखिलाते बच्चे वन्य पशु ,वन उपवन और आकाश धरतीI क्या मेरे पास इतनी जगह होगी लेकिन इतना अवश्य है कि छोटी छोटी कोशिशें भी एक दिन सफलता जरुर देंगी Iमैं ऐसा ही चित्रकार बनना चाहता हूँ Iमहादेवी वर्मा ,निराला ,और "लियो नारडो द विंची "की तरह I
काश ! कि मैं ऐसा ही चित्रकार होता I