स्वप्न आता स्वर्ग का, दृग-
कोरकों में दीप्ति आती,
पंख लग जाते पगों को,
ललकती उन्मुक्त छाती,
रास्ते का एक काँटा
पाँव का दिल चीर देता,
रक्त की दो बूंद गिरती,
एक दुनिया डूब जाती,
आँख में हो स्वर्ग लेकिन
पाँव पृथ्वी पर टिके हो,
कंटकों की अनोखी
सीख का सम्मान कर ले।
की इस
पूर्व चलने के बटोही
बाट की पहचान कर ले।
सच्चन
'मतरी
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yo-yo
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