Psychology, asked by Sanjay6263, 4 months ago

स्वपरिचयम संस्कृत भाषयाम दशावावयेशु -
लिखित​

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Answered by Lalitasarate
6

Explanation:

संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम एवं श्रेष्ठतम भाषा है |आज भी स्वल्प

मात्रा में ही सही संस्कृत वाङ्गमय का प्रणयन हो रहा है ,पत्रिकाओं का

प्रकाशन हो रहा है मञ्च पर नाटक अभिनीत होते हैं तथा धाराप्रवाह भाषण

दिये जाते हैं |इतना ही नहीं काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भरतीयों के

सांस्कृतिक तथा धार्मिक कृत्यों ,पूजा पद्धतियों एवं संस्कारों में

संस्कृत भाषा का समान रूप से प्रयोग होता है | इस प्रकार संस्कृत भाषा उपमा

आदि अलङ्कारों ,माधुर्यादि गुणों से विभूषित एवं श्रङ्गारादि रसों में

परिलिप्त विश्व प्राङ्गण में शोभायमान है |

विभिन्न पाश्चात्य विद्वानों ने संस्कृत भाषा का अध्ययन किया एवं इस निष्कर्ष पर

पहुंचे कि संस्कृत साहित्य संसार के सभ्य साहित्यों में अनुपम तथा अद्वितीय

है इसकी प्राचीनता एवं व्यापकता ,सांस्कृतिक मूल्य ,और सौन्दर्य दृष्टि

सभी क्षेत्रों में यहाँ विश्व के किसी भी साहित्य से टक्कर ले सकता है ।

संस्कृता भाषा की सबसे बड़ी विशेषता इसकी शास्त्रीय उच्चारण पद्धति है ।

स्वर शास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान भारतीय मनीषियों ने ''नाद''

विज्ञान का गंभीर अन्वेषण किया था ।

सत्य ,अहिंसा एवं विश्व बंधुत्व ,विश्व संस्कृति के तत्व सर्वप्रथम वेदों

एवं संस्कृत साहित्य के ग्रंथों में ही प्राप्त होते हैं ।साहित्य समाज का

दर्पण होता है समाज जिस प्रकार का होगा वह उसी भाँति साहित्य में

प्रतिबिंबित रहता है । संस्कृति की आत्मा साहित्य के भीतर से सदैव अपनी

मधुर झांकी दिखलाया करती है ।

संस्कृति के उचित प्रचार एवं प्रसार का श्रेष्ठ साधन साहित्य ही है ।

संस्कृत भाषा दिव्य गुण सम्पन्न है । विभिन्न भाषाओं में देव स्तुति एवं

संपूर्ण देवकार्य संस्कृत में ही होते हैं । देवताओं के आह्वाहन के लिए

संस्कृत का ही प्रयोग होता है । इसीलिए इसे देवावाणी ,अमरगिरा ,सुरभारती

,गीर्वाणी ,आदि शब्दों से अलंकृत किया जाता है ।

वेद - वेदांग ,उपनिषद ,आरण्यक ,ब्राह्मण ग्रन्थ ,स्मृति ग्रन्थ ,पुराण

,महाभारत ,रामायण ,आदि शास्त्र संस्कृत भाषा में ही निबद्ध हैं । संस्कृत

भाषा में देवांगनाओं एवं उनके अखंड यौवन का वर्णन अद्वितीय है । इसीलिए

इसकी सराहना सभी जगह की जाती है । संस्कृत लिपि वैज्ञानिक है ।

Answered by parveenmahilange28
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Answer:

svaparichayam sanshkrit bhasa dashvayeshu likhit

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