स्वराज की नीव पाठ में तैनात पति कौन है
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झांसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वराज के लिए लड़ी और स्वराज्य के लिए मरी और मरकर स्वराज के नींव का पत्थर बनीं। उक्त उद्गार दीपचंद्र चौधरी महाविद्यालय में आयोजित रानी लक्ष्मीबाई जयंती समारोह में वक्ताओं ने व्यक्त किए।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती समारोह का शुभारंभ उनके चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण करके किया गया। इस मौके पर नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर भगवत नारायण शर्मा ने कहा कि 1857 की क्रांति में रानी ने अपनी तलवार से अंग्रेजों के नाक में दम कर दी। वह अंत तक स्वराज के लिए लड़ती रहीं और मरकर भी स्वराज्य की नींव का पत्थर बन गईं। अन्य वक्ताओं में प्राचार्य डा. जे एस तोमर, अजीज कुरैशी, जी दास, कर्नल ब्रह्मदत्त पांडेय, डा. एम एल गुप्ता, कामिनी जैन आदि ने महारानी के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। आयोजन में प्रबंधक चौधरी कमलेश जैन, डा. संदीप आठिया, हनी श्रीवास्तव, दीपिका वर्मा, सविता पटेल, म्यूरी शर्मा, महेंद्र झा, आलोक वर्मा, पुरुषोत्तम सेन सहित बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे उपस्थित रहे।
बुंदेलखंड विकास सेना के तत्वावधान में तालाबपुरा स्थित कार्यालय में रानी लक्ष्मीबाई का जन्म दिवस मनाया गया।
जयंती समारोह का शुभारंभ नपाध्यक्ष सुभाष जायसवाल ने माल्यार्पण करके किया। बुंविसे प्रमुख ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। आयोजन में राजेंद्र गुप्ता, जिनेंद्र जैन, राजमल बरया, हरविंदर सलूजा, राजीव पटवारी, अमर सिंह, कदीर खां, सन्मति सराफ, राजकुमार, बृजेश राठौर, शिव प्रसाद श्रोत्रीय, परवेज आदि उपस्थित रहे।