स्वराज पार्टी का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में क्या योगदान था
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1922 में कांग्रेस के गया अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू और सी. आर. दास ने चुनावों के माध्यम से विधानमण्डल में प्रवेश का प्रस्ताव रखा, जिसे कांग्रेस ने बहुमत से अस्वीकार कर दिया।
इस पर सी. आर दास व मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस से त्याग पत्र दे दिया।
31 दिसम्बर 1922 को स्वराज पार्टी के गठन की घोषणा की। 1923 में कांग्रेस के दिल्ली के विशेष अधिवेशन में कांग्रेस ने इसे मान्यता दे दी, जिससे कांग्रेस एक औऱ विभाजन से बच गई।
1923 के चुनावों में केन्द्रीय विधानमण्डल की 101 में से 42 सीटों पर इसने जीत हासिल की। मध्यप्रान्त में बहुमत, बंगाल में सबसे बड़ी पार्टी तथा बम्बई तथा उत्तरप्रदेश में संतोषजनक सफलता मिली।
उपलब्धियां
1- विठ्ठलभाई पटेल केन्द्रीय विधानपरिषद में असेम्बली के अध्यक्ष चुने गए।
2- 1924 में इस पार्टी ने एक संशोधन प्रस्तुत किया कि भारतीय संविधान का निर्माण भारतीयों द्वारा हों। ( यह पहली बार मांग हुई)
3- 1919 के अधिनियम की जांच के लिए मुड्डिमैन समिति नियुक्त करवाना।
4- कपास पर लगे उत्पाद शुल्क की समाप्ति व नमक कर में कटौती।
5- श्रमिकों एवं मजदुर सघों के लिए कार्ययोजना।
6- नगरपालिका चुनावों में सी आर दास कलकत्ता के मेयर, अहमदाबाद के मेयर विठ्ठलभाई पटेल, पटना में राजेन्द्र प्रसाद और इलाहाबाद के मेयर पं. जवाहरलाल नेहरू चुने गए।
इस प्रकार देश में जागृति लाने में इस पार्टी के कार्य प्रमुख थे।