स्वर्णिम शिखर बनकर जीना ही जीना है|
असत्य
सत्य
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Answer:
अस्तय
Explanation:
because there were no city built by earlier in this year and the last year was the only thing I could do with it and it was a good idea for a good time and I can hit the road and then go back and get to know the people who have to bring a business card for you to use for your personal business or to be a good asset for the group of people that you have not even heard so mark me as *brainliest*
Answer:
असत्य
Explanation:
अब तो ऐसा लगता है कि कभी-न-कभी हम को भी अंतरिक्ष में जाने का मौका मिल सकता है। लेकिन यह कब संभव होगा, कहा नहीं जा सकता। काश, मेरा घर अंतरिक्ष में होता…. यदि सच में मेरा घर अंतरिक्ष में होता तो कितना अच्छा होता। जिस आसमान को दूर से देखा करते हैं, हम उसकी खूब सैर करते। चाँद, सितारों को नजदीक से देखते। बादलों के बीच लुका-छिपी खेलते। परियों के देश में जाते।
वे किस तरह रहती हैं, जानने-देखने का अवसर पाते। हम अंतरिक्ष से अपनी सुंदर धरती को देखते। अपने प्यारे भारत को देखते। आकाशगंगा के विभिन्न ग्रहों-उपग्रहों को देखते। सौरमंडल के सबसे सुंदर ग्रह शनि और उसके वलयों को देखते। उनके जितना निकट जा सकते, अवश्य जाते। स्पेस वॉक करते। वहाँ फैली शांति का अनुभव करते। वहाँ के प्रदूषणरहित वातावरण में रहने का मौका मिलता, जिससे हमारा स्वास्थ्य बहुत बढ़िया हो जाता। काश ऐसा हो पाता
स्वर्णिम शिखर बनकर जीना ही जीना है|
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विधानों के सामने सत्य/असत्य लिखिए:
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