'स्वर्ण-पाश' में कौन-सा समास है?
(क) तत्पुरुष समास
(ख) अव्ययीभाव समास
(ग) बहुव्रीहि समास
(घ) कर्मधारय समास
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कर्मधारय समास।
Explanation:
वह समास जिसमें उत्तर पद प्रधान हो तथा पूर्व पद व उत्तर पद में विशेषण- विशेष्य का संबंध हो, वह कर्मधारय समास कहलाता है।
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स्वर्ण पाश का समास विग्रह होगा सोने का जाल (फांस)। इस सामासिक शब्द में तत्पुरुष समास है। तत्पुरुष समास के भेदों में से षष्ठी तत्पुरुष समास है जिसे हम संबंध तत्पुरुष भी कहते हैं।
Explanation:
- तत्पुरुष समास में उत्तर पद की प्रधानता होती है और पहला पद गौण हो जाता है।
- समास करते समय उन दोनों शब्दों के बीच की विभक्तियों का लोप हो जाता है, अर्थात् कारक चिन्ह् का लोप हो जाता है।
- कारक चिन्ह् जैसे का, के, की, रा, रे, री इत्यादि।
- तत्पुरुष समास व्यक्तियों के आधार पर छह भाग में विभक्त किए जाते हैं। कर्म तत्पुरुष, करण तत्पुरुष, संप्रदान तत्पुरुष, अपादान तत्पुरुष, संबंध तत्पुरुष, और अधिकरण तत्पुरुष।
- स्वर्ण पाश सामासिक शब्द का विग्रह "सोने का पाश" में सोने और पाश के बीच की विभक्ति "का" शब्द का लोप हो गया है।
- इसलिए यहां संबंध तत्पुरुष समास है।
समास किसे कहते है?
- समास का शाब्दिक अर्थ 'संक्षेप' होता है, जब दो या दो से अधिक शब्द एक साथ मिल जाते हैं और एक नया शब्द बनाते हैं और इन दोनों शब्दों के बीच व्यक्तियों का लोप हो जाता है समास कहलाता है।
सामान्य रूप से समास छह प्रकार के माने गए हैं।
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- बहुव्रीहि समास
- द्वन्द्व समास
- अव्ययीभाव समास में पहला पद प्रधान होता है।
- तत्पुरुष समास में उत्तर पद प्रधान होता है।
- द्वंद समास में दोनों पद प्रधान होते हैं।
- बहुव्रीहि समास में दोनों पद गौण और तीसरा पद प्रधान होता है।
- कर्मधारय समास में दोनों पद प्रधान होता है।
- द्विगु समास में पहला पद प्रधान और संख्यावाची होते हैं।
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