स्वर्ण शस्य अंचल पृथ्वी पर' कहाँ लहराता
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Explanation:
स्वर्ण शस्य अंचल पृथ्वी पर हरियाली खेतों में लहराता है
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निबंधकार विवेकी राय ने अपने निबंध चली फगुनहट बारे आम में प्राकृतिक परिवर्तन का चित्रण एक प्राकृतिक क्रांति के रूप में किया है
निबंधकार कहता है कि इस समय संवत्सर बदल जाता है। अतः मौसम में भी आमूलचूल परिवर्तन होता है इस परिवर्तन में पुराने पत्ते सूखी धनिया आदि सब टूट टूट कर गिर जाते हैं खेतों खेतों में सरसों के पौधे लहराते हुए अपने पीले पीले फूलों की सुगंध और बाहर चारों ओर बिखरने लगते हैं। इन्हें देख कर ऐसा लगता है कि जैसे कि यह सरसों के ह्रदय में पीले पीले कमल के फूल खिले हुए हैं केसर पौधों की टूटती कलियों को देखकर ऐसा लगता है जैसे कि के सरूपी नायिका ने इन कलियों के रूप में अपने केस राशि खोल दी है इतना ही नहीं पृथ्वी पर खेतों में लहरा तीसरी हरी-भरी फसलों को देखकर ऐसा लगता है जैसे कि पृथ्वी रूपी नायिका सनहले फसल रूपी आंचल को लहराते हुए नवसंवत्सर के आगमन का स्वागत कर रही है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि फगुनहट के चलने पर स्वर्ग राज्य अंचल पृथ्वी पर लहराता है ।